सीतापुर और बहराइच में बाढ़ का खतरा
बहराइच। बाँसगांव संदेश (बी0 एन0 सिंह) उत्तर प्रदेश में मानसून अभी भले ही सक्रिय न हुआ हो, लेकिन नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। अवध क्षेत्र की नदियों के उफनाने का मुख्य कारण है, पहाड़ों पर झमाझम बारिश। नेपाल की नदियों से आने वाले पानी को बैराजों से अवध क्षेत्र की नदियों में छोड़ा जा रहा है, इससे कई जिलों के गांवों में बाढ़ का खतरा बढ़़ गया है। कुछ जिलों में सैकड़ों बीघा जमीन नदी में समा चुकी है। इसके अलावा कहीं तटबंध खतरे में हैं, तो कहीं पानी खतरे के निशान के करीब पहुंचा चुका है। घाघरा का जलस्तर दो सेंटीमीटर प्रति घंटे की गति से बढ़ रहा है। नदियाें से बाढ़ का खतरा पिछले वर्षों की तरह इस बार भी भयावह होने के आसार हैं।
गुरुवार की दोपहर 12 बजे घूरदेवी स्पर पर घाघरा का जलस्तर 112.135 मीटर के सापेक्ष 110.300 मीटर रिकॉर्ड किया गया। यहां घाघरा लाल निशान से 1.65 मीटर नीचे बह रही है। सरयू ड्रेनेज खंड प्रथम के अधिशासी अभियंता शोभित कुशवाहा ने बताया कि गुरुवार को शारदा बैराज से एक लाख 42 हजार 466, गिरिजापुरी बैराज से एक लाख 34 हजार 435 व गोपिया बैराज से 18 हजार 962 क्यूसेक पानी छोड़ा गया। तहसीलदार महसी राजेश कुमार वर्मा ने बताया कि बैराजों से पानी ज्यादा छोड़ा गया है। लेकिन नदी अभी खाली है जिससे बाढ़ की संभावना नहीं है। तहसील प्रशासन नदी की स्थिति पर नजर बनाए हुए है। एसडीएम एसएन त्रिपाठी ने बताया कि बाढ़ आपदा से निपटने के लिए महसी तहसील क्षेत्र में 14 बाढ़ राहत चौकियों की स्थापना कर दी गई है। इन चौकियों पर राहत सामग्री वितरण व स्वास्थ्य सेवाओं की टीम मौजूद रहेगी। नौ लंगर स्थल बनाए गए हैं जहां खाद्य सामग्रियां वितरित होगी। दो बाढ़ शरणालय बनाए गए हैं ताकि बाल के दौरान बाढ़ प्रभावित परिवारों को वहां पर सुरक्षित रोका जा सके।
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