देशी चिकित्सा पद्धति विषय पर आनलाईन परिचर्चा का आयोजन
देशी चिकित्सा पद्धति विषय पर आनलाईन परिचर्चा का आयोजन
गोरखपुर।सेंट एंड्रयूज कॉलेज गोरखपुर व ए एन जे अम्मल कॉलेज शिवकाशी तमिलनाडु के संयुक्त तत्वाधान में देशी चिकित्सा पद्धति विषय पर एक सामूहिक परिचर्चा का आयोजन आज गुरूवार को ऑनलाइन किया गया। इस अवसर पर उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में ए एन जे अमल कॉलेज के प्राचार्य डॉ सी अशोक ने देसी व पारंपरिक चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज भी हम किसी भी बीमारी में प्रारंभिक उपचार इन्हीं पद्धतियों द्वारा करते हैं। हमें स्वदेशी चिकित्सा पद्धति दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता है। अपने अभिनंदन भाषण में बोलते हुए सेंट एंड्रयूज कॉलेज गोरखपुर के प्राचार्य प्रोफेसर जे के लाल ने कहा की करोना महामारी के समय में यह कार्यक्रम उत्तर भारत और दक्षिण भारत के पारंपरिक औषधिय ज्ञान व विचारों के आदान-प्रदान का उत्कृष्ट मंच साबित होगा। मुख्य परामर्शदाता के रूप में ए एन जे अमल कॉलेज के जैव तकनीकी विभाग के अध्यक्ष डॉ शंकर शिवरामन ने सबका औपचारिक स्वागत किया तथा कार्यक्रम की उपयोगिता से सबको अवगत कराया। उन्होंने अपने वक्तव्य को आगे बढ़ाते हुए कहा की पारंपरिक औषधियों की उपयोगिता हमने इस महामारी में देखी है और इसके विभिन्न गुणों के वैज्ञानिक अनुसंधान की आवश्यकता है।सत्र का क्रियान्वयन सेंट एंड्रयूज कॉलेज के वनस्पति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर एवं मुख्य परामर्शदाता डॉ एस डोमिनिक राजकुमार तथा ए एनजे कॉलेज की डॉ निवेदिता ने किया।तकनीकी सत्रों में सेंट एंड्रयूज कॉलेज की बीएससी की छात्रा हुमा जफर सालेहा जफर जे आर आयुषी मुस्कान गुप्ता तथा रूहिना नॉज ने उत्तर भारत के पारंपरिक औषधियों के वर्तमान स्थिति व भविष्य की संभावनाओं पर अपने विचार रखें वही ए एन जे कॉलेज कॉलेज की एस गणेश्वरी मुथूर स्वामी यस गीता रानी तथा नागा मुथुमारी ने तमिल नाडु व आसपास के आदिवासी इलाकों में अपनाई जाने वाली पारंपरिक औषधियों औषधीय पौधों उनके गुणों उनके उपयोग के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया।कार्यक्रम में आए हुए अतिथि गणों का कार्यक्रम के सह सचिव डॉ जे के पाण्डेय ने सबका धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर सेंट एंड्रयूज कॉलेज के आयोजन समिति के डॉ निधि लाल डॉ आशुतोष इसाया डॉ हरि ओम गुप्ता डॉ शशांक हर्षिता प्रीति प्रकाश क्षमा सहित कॉलेज के अधिसंख्य शिक्षक व छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
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गोरखपुर।सेंट एंड्रयूज कॉलेज गोरखपुर व ए एन जे अम्मल कॉलेज शिवकाशी तमिलनाडु के संयुक्त तत्वाधान में देशी चिकित्सा पद्धति विषय पर एक सामूहिक परिचर्चा का आयोजन आज गुरूवार को ऑनलाइन किया गया। इस अवसर पर उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में ए एन जे अमल कॉलेज के प्राचार्य डॉ सी अशोक ने देसी व पारंपरिक चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज भी हम किसी भी बीमारी में प्रारंभिक उपचार इन्हीं पद्धतियों द्वारा करते हैं। हमें स्वदेशी चिकित्सा पद्धति दस्तावेजीकरण करने की आवश्यकता है। अपने अभिनंदन भाषण में बोलते हुए सेंट एंड्रयूज कॉलेज गोरखपुर के प्राचार्य प्रोफेसर जे के लाल ने कहा की करोना महामारी के समय में यह कार्यक्रम उत्तर भारत और दक्षिण भारत के पारंपरिक औषधिय ज्ञान व विचारों के आदान-प्रदान का उत्कृष्ट मंच साबित होगा। मुख्य परामर्शदाता के रूप में ए एन जे अमल कॉलेज के जैव तकनीकी विभाग के अध्यक्ष डॉ शंकर शिवरामन ने सबका औपचारिक स्वागत किया तथा कार्यक्रम की उपयोगिता से सबको अवगत कराया। उन्होंने अपने वक्तव्य को आगे बढ़ाते हुए कहा की पारंपरिक औषधियों की उपयोगिता हमने इस महामारी में देखी है और इसके विभिन्न गुणों के वैज्ञानिक अनुसंधान की आवश्यकता है।सत्र का क्रियान्वयन सेंट एंड्रयूज कॉलेज के वनस्पति विज्ञान के एसोसिएट प्रोफेसर एवं मुख्य परामर्शदाता डॉ एस डोमिनिक राजकुमार तथा ए एनजे कॉलेज की डॉ निवेदिता ने किया।तकनीकी सत्रों में सेंट एंड्रयूज कॉलेज की बीएससी की छात्रा हुमा जफर सालेहा जफर जे आर आयुषी मुस्कान गुप्ता तथा रूहिना नॉज ने उत्तर भारत के पारंपरिक औषधियों के वर्तमान स्थिति व भविष्य की संभावनाओं पर अपने विचार रखें वही ए एन जे कॉलेज कॉलेज की एस गणेश्वरी मुथूर स्वामी यस गीता रानी तथा नागा मुथुमारी ने तमिल नाडु व आसपास के आदिवासी इलाकों में अपनाई जाने वाली पारंपरिक औषधियों औषधीय पौधों उनके गुणों उनके उपयोग के तरीकों के बारे में विस्तार से बताया।कार्यक्रम में आए हुए अतिथि गणों का कार्यक्रम के सह सचिव डॉ जे के पाण्डेय ने सबका धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर सेंट एंड्रयूज कॉलेज के आयोजन समिति के डॉ निधि लाल डॉ आशुतोष इसाया डॉ हरि ओम गुप्ता डॉ शशांक हर्षिता प्रीति प्रकाश क्षमा सहित कॉलेज के अधिसंख्य शिक्षक व छात्र छात्राएं मौजूद रहे।
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