मुझे छाँव में रखा खुद जलते रहे धूप में,मैने देखा है ईश्वर को मेरे पिता के रूप में
धस्की, गोरखपुर।दुनिया के अधिकांश देशों में पितृ दिवस जून के तीसरे रविवार को मनाया जाता है। कुछ देशों में यह अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है।ज्ञातव्य हो कि यह माता के सम्मान हेतु मनाये जाने वाले मातृ दिवस का पूरक है। पिता एक ऐसा शब्द जिसके बिना किसी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। एक ऐसा पवित्र रिश्ता जिसकी तुलना किसी और रिश्ते से नहीं हो सकती।
माता-पिता मूर्तिमान देव हैं जिनके संग से मनुष्य देह की उत्पत्ति, पालन, सत्य शिक्षा, विद्या और सत्योपदेश की प्राप्ति होती है। पिता से अच्छा मार्ग दर्शक कोई और हो ही नहीं सकता,जो समय -समय पर अच्छी और बुरी बातों का आभास करा कर सदैव सावधान करता है एवं आगे बढ़ने की सीख देता है उत्साह बढ़ाता हैं। हर बच्चा अपने पिता से ही सारे गुण सीखता है जो उसे जीवन भर परिस्थितियों के अनुसार ढलने के काम आते हैं। पिता का हृदय कितना विशाल होता है, जो संतान के कृतघ्न होने पर भी पिता उसे प्यार करता है वहीं संतान कितनी जल्दी पिता के प्यार व त्याग को भूल जाती है।वैसे तो कुछ ऐसे भी संतानें है जिन्हें पिता का प्यार, दुलार नहीं मिला होगा लेकिन ऐसे संतानों को भी पिता का आशीर्वाद सदैव बना रहता है।
जून महीने के तीसरे सप्ताह रविवार को गोरखपुर जिले के बांसगांव तहसील क्षेत्र अंतर्गत धस्की गांव के दिलीप गुप्ता, प्रमोद यादव, अभिषेक सिंह, बबलू गुप्ता,सिराजुद्दीन, बजरंगी, विक्रम, विनोद गुप्ता एवं अनिल गुप्ता ने पितृ दिवस पर बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुआ कहा- मुझे छाँव में रखा खुद जलते रहे धूप में,मैंने देखा है ईश्वर को मेरे पिता के रूप में।
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