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    यू पी बोर्ड में प्रमोशन हेतु नियमो से शिक्षाविद पूर्ण संतुष्ट नहीं


    बहराइच। बाँसगांव सन्देश (बी0 एन0 सिंह)प्रदेश के उपमुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की ओर से रविवार को हाईस्कूल व इंटरमीडिएट के परीक्षाफल निर्धारण को फार्मूला जारी किया गया। जारी फार्मूले में हाईस्कूल के लिए नवीं के 50 प्रतिशत व हाईस्कूल के प्रीबोर्ड के 50 प्रतिशत को आधार बनाया गया है। जिसे शिक्षाविद सही ठहरा रहे हैं, लेकिन इंटरमीडिएट को जारी 50:40:10 के फार्मूले को लेकर जानकार असंतुष्ट हैं और सीबीएसई के फार्मूले को ज्यादा बेहतर बता रहे हैं। प्रस्तुत है कुछ शिक्षा जानकारों से किए गए व्हाट्सअप संवाद के अंश-

    कोरोना संक्रमण के चलते छात्र हित को देखते हुए सरकार की ओर से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट की परीक्षा को रद्द कर दिया गया था।जिसके बाद से ही परीक्षा परिणाम को लेकर अटकलें लगाई जा रही थी। रविवार को उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने अटकलों पर विराम लगाते हुए परीक्षाफल निर्धारण का फार्मूला घोषित कर दिया।

    हाईस्कूल का परीक्षाफल छात्रों के द्वारा नवीं में अर्जित अंकों के 50 प्रतिशत व हाईस्कूल की परीक्षा के प्रीबोर्ड में हासिल अंकों के 50 प्रतिशत को जोड़कर तैयार करने की बात कही गई है। वहीं इंटरमीडिएट के लिए छात्रों के हाईस्कूल में अर्जित अंकों के 50 प्रतिशत, 11 वीं में अर्जित अंकों के 40 प्रतिशत व इंटर के प्रीबोर्ड में अर्जित अंकों के 10 प्रतिशत को जोड़कर तैयार करने की बात कही गई है। हाईस्कूल के लिए जारी फार्मूले को लेकर तो शिक्षा के जानकार संतुष्ट हैं और इसे न्याय संगत बता रहे हैं जबकि इंटरमीडिएट के फार्मूले से असंतुष्ट हैं, और इसे मेधावियों के लिए अहितकर बता रहे हैं।

    जानकार इंटरमीडिएट के परीक्षाफल के लिए हाईस्कूल के 50 प्रतिशत अंकों को जोड़ने की बात को सही नहीं मान रहे हैं। उनका मानना है कि हाईस्कूल परीक्षा छात्रों की पहली बोर्ड परीक्षा होती है, जिस नाते कई बार छात्रों के नंबर कम हो जाते हैं। जिसकी भरपाई के लिए छात्र इंटरमीडिएट में कड़ी मेहनत करते हैं। जबकि इस फार्मूले में इंटर के प्रीबोर्ड को मात्र 10 प्रतिशत अंक जोड़ने की बात कही गई है। जानकार इंटरमीडिएट के परीक्षा फल के लिए प्रीबोर्ड के अंक व प्रयोगात्मक परीक्षा के अंकों को ज्यादा वेटेज देने की बात कह रहे हैं।

    सीबीएसई पैटर्न ज्यादा न्याय संगत

    सीबीएसई की ओर से 30:30:40 का फार्मूला अपनाया जा रहा है जो न्याय संगत है। इंटर के परीक्षाफल के लिए हाई स्कूल में अर्जित अंक को सबसे ज्यादा 50 प्रतिशत का वेटेज दिया गया है। जबकि यह छात्रों की पहली परीक्षा होती है। प्रीबोर्ड परीक्षा और प्रयोगात्मक परीक्षा को ज्यादा भारांक देकर इससे न्याय संगत बनाया जा सकता था।

    डॉ दीनबन्धु शुक्ल, प्रधानाचार्य राहत जनता इण्टर कालेज, नानपारा

    दूसरे बोर्डों से पिछड़ जाएंगे यूपी बोर्ड के छात्र

    यूपी बोर्ड का अंक निर्धारण फार्मूला न्याय संगत नहीं है। हाईस्कूल का अंक निर्धारण काफी हद तक न्याय संगत है, लेकिन इंटरमीडिएट में अपनाई गई प्रणाली छात्र हित में नहीं है। अन्य बोर्डों की तुलना में यूपी बोर्ड के छात्रों को अंकों के आधार पर प्रतिस्पर्धा करने में दिक्कत आएगी। व्यक्तिगत परीक्षार्थियों के लिए भी इस पद्धति से अंक प्राप्त करना और अंक निर्धारण विसंगति पूर्ण होगा।

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