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    देश-विदेश की मुक़द्दस हस्तियों का मनाया जायेगा उर्स-ए-पाक

    माह-ए-मुर्हरम के चांद के साथ शुरु होगा नया इस्लामी साल, 1443 हिजरी

    देश-विदेश की मुक़द्दस हस्तियों का मनाया जायेगा उर्स-ए-पाक

    गोरखपुर। इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना मुहर्रम है। माह-ए-मुहर्रम का चांद निकलने के साथ 10 या 11 अगस्त से 1443 हिजरी शुरु हो जायेगी। इसी के साथ नये इस्लामी साल का आगाज़ होगा। हिजरी सन् इसी महीने से शुरु होता है। यौमे आशूरा (10 मुहर्रम) की तारीख़ 19 या 20 अगस्त को पड़ेगी।

    मुहर्रम की पहली तारीख को मुसलमानों के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन हज़रत सैयदना उमर रदियल्लाहु अन्हु की शहादत हुई। माह-ए-मुहर्रम को इस्लामी इतिहास की सबसे दुखद घटना के लिए याद किया जाता है। इसी महीने में यजीद नाम के जालिम बादशाह ने पैगंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के नवासे हज़रत सैयदना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व उनके साथियों को कर्बला के मैदान में शहीद कर दिया था। 

    प्रमुख मस्जिदों व घरों में 'जिक्रे शोह-दाए-कर्बला' की महफिल-मजलिस पहली मुहर्रम से शुरु होगी। मुफ्ती मो. अजहर शम्सी (नायब काजी) बताते हैं कि माह-ए-मुहर्रम दीन-ए-इस्लाम के मुबारक महीनों में से एक है। इस माह में रोजा रखने की खास अहमियत है। मुख्तलिफ हदीसों व अमल से मुहर्रम की पवित्रता व इसकी अहमियत का पता चलता है। 

    सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार के इमाम हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी ने कहा कि दसवीं मुहर्रम को फातिहा-नियाज करना, पानी व शर्बत का स्टाल लगाना, मिस्कीन मोहताजों को खाना खिलाना, परेशान लोगों की परेशानी को दूर करना सवाब का काम है। नौवीं व दसवीं मुहर्रम का रोजा रखना अफ़ज़ल है। मुहर्रम में बहुत सी मुक़द्दस हस्तियों का उर्स-ए-पाक पड़ रहा है। जिसे अदब व एहतराम के साथ मनाया जाएगा।

    चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी ने बताया कि माह-ए-मुर्हरम बहुत मुबारक महीना है। इसमें देश विदेश की मुक़द्दस हस्तियों का उर्स-ए-पाक पड़ रहा है। उर्स-ए-पाक अकीदत व एहतराम के साथ मनाया जाएगा। क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी की जाएगी।

    तंजीम दावत-उस-सुन्नाह के सदर कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने कहा कि मुहर्रम के दसों दिन खुसूसन आशूरा (10वीं मुहर्रम) के दिन महफिल-मजलिस करना और सही रिवायतों के साथ हज़रत सैयदना इमाम हुसैन व कर्बला के शहीदों के फजाइल और कर्बला का वाकया बयान करना जायज़ व बाइसे सवाब है। दीनी किताबों में है कि जिस मजलिस में सालिहीन का जिक्र होता है, वहां अल्लाह की रहमत बरसती है। इस माह में पड़ने वाले बुज़ुर्गों के उर्स-ए-पाक पर क़ुरआन ख़्वानी, फातिहा ख़्वानी व दुआ ख़्वानी की जाएगी। उनकी ज़िन्दगी पर रोशनी डाली जाएगी।

    इन मुक़द्दस हस्तियों का मनाया जायेगा उर्स-ए-पाक

    पहली मुहर्रम को मुसलमानों के दूसरे खलीफा अमीरुल मोमिनीन सैयदना हज़रत उमरे फारुके आज़म रदियल्लाहु अन्हु,  हज़रत अबू हफ्स शैख़ शहाबुद्दीन उमर सोहरवर्दी अलैहिर्रहमां, 2 मुहर्रम को हज़रत शैख़ अबू महफूज़ असदुद्दीन मारूफ़ करख़ी अलैहिर्रहमां, 5 मुहर्रम को हज़रत शैख़ ख़्वाजा बाबा फरीदुद्दीन मसऊद गंजे शकर अलैहिर्रहमां, 7 मुहर्रम को हज़रत शाह ख़्वाजा फुजैल बिन अयाज़ अलैहिर्रहमां, 8 मुहर्रम को हज़रत मौलाना हशमत अली खान अलैहिर्रहमां, 10 मुहर्रम को शहीद-ए-आज़म हज़रत सैयदना इमाम हुसैन रदियल्लाहु अन्हु व कर्बला के शहीदों, हज़रत शम्सुद्दीन हबीबुल्लाह मिर्ज़ा मज़हर जाने जानां अलैहिर्रहमां, हज़रत ख़्वाजा अबू नसर बिशर अल हाफी अलैहिर्रहमां व हज़रत ख़्वाजा अबुल हसन ख़रक़ानी अलैहिर्रहमां, 14 मुहर्रम को मुफ्ती-ए-आज़म हिंद हज़रत मोहम्मद मुस्तफा रज़ा खां नूरी अलैहिर्रहमां, 18 मुहर्रम को हज़रत सैयदना इमाम ज़ैनुल आबेदीन अली अल औसत रदियल्लाहु अन्हु, 20 मुहर्रम को सहाबी-ए-रसूल हज़रत सैयदना बिलाल अल हबशी रदियल्लाहु अन्हु, हज़रत शाह कुतबुद्दीन अहमद वलीउल्लाह मुहद्दिस देहलवी अलैहिर्रहमां, 26 मुहर्रम को हज़रत बाबा सैयद ताजुद्दीन मोहम्मद अलैहिर्रहमां, 28 मुहर्रम को हज़रत मखदूम सैयद अशरफ जहांगीर सिमनानी अलैहिर्रहमां का उर्स-ए-पाक अकीदत व एहतराम के साथ मनाया जायेगा।

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