ऑनलाइन स्थानांतरण प्रक्रिया की विसंगतियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया गया
बहराइच। बाँसगांव संदेश। (बी0एन0 सिंह) उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (एकजुट) के प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र वर्मा के नेतृत्व में शिक्षकों के प्रतिनिधिमण्डल ने अपर शिक्षा निदेशक से मिलकर ऑनलाइन स्थानांतरण प्रक्रिया में व्याप्त विसंगतियों की ओर ध्यान आकृष्ट कराया।
उपेंद्र वर्मा ने बताया कि वर्तमान में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रधान /प्रवक्ताओं एवं अध्यापकों के ऑनलाइन स्थानान्तरण 2021 की प्रक्रिया गतिमान है। जिसमे कतिपय विद्यालयों की सूचना ऑनलाइन पोर्टल पर प्रदर्शित किए जाने हेतु जिला विद्यालय निरीक्षकों द्वारा रिक्तियों की सूचना छिपाते हुए प्रेषित की गई है। जिससे दूर दराज में कार्यरत प्रधानाचार्यों/प्रवक्ताओं/अध्यापकों का स्थानान्तरण निकटस्थ जनपदों में होने की संभावना लगभग क्षीण हो गई है।ऑनलाइन स्थान्तरण की प्रक्रिया स्थान्तरण नीति को भ्रष्टाचार मुक्त रखने हेतु शासन द्वारा निर्णय लिया गया किंतु जिला विद्यालय निरीक्षकों द्वारा भ्रष्टाचार के अंतर्गत कतिपय रिक्तियों को छिपाते हुये सूची शिक्षा निदेशालय को पोर्टल पर अपलोड करने हेतु प्रेषित की गई है जो प्राथमिक स्तर पर ही भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है।क्योकि प्रयागराज के ही कई कालेजों जैसे रंजीत पंडित इंटर कालेज नैनी, राधारमण इंटर कालेज दारागंज ,के० पी० जायसवाल, गांधी इंटर कालेज पटेल नगर, डी०ए० वी० इंटर कालेज मीरापुर, शिवचरण दास कन्हैया लाल इंटर कालेज, जवाहर लाल नेहरू इंटर कालेज सहसो, जैसे अनेक कालेजों में प्रधानाचार्य के पद रिक्त है लेकिन पोर्टल पर नही अपलोड है।
प्रदेश मीडिया प्रभारी सुधाकर ज्ञानार्थी ने कहा कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के अध्यापकों के आनलाइन स्थानांतरण फार्म 12/07/2021 से 15/07/2021 तक भरा जाना है लेकिन जो अध्यापक स्थानांतरण के इच्छुक थे और आनलाइन आवेदन करना चाहते हैं वेबसाइट पर उनका तैनाती विद्यालय ही प्रदर्शित नहीं हो रहा है।
ऐसे में वे अध्यापक जो अपनी विकट समस्याओं के कारण लम्बे समय से स्थानांतरण का इंतजार कर रहे थे, अब आनलाइन आवेदन ही नहीं कर पायेगें।
आखिर इसके लिए मूल रूप से जिम्मेदार कौन...???
👉क्या विद्यालयों के प्रधानाचार्यों द्वारा गलत सूचना दी गयी या मांग के अनुरूप सूचना ही नहीं दी गयी...?
👉क्या जिलाविद्यालय निरीक्षकों द्वारा समुचित कार्यवाही नहीं की गयी...?
👉क्या शासन द्वारा स्थानांतरण नीति ही गलत बनायी गयी है या उसका परिचालन गलत तरीके से हो रहा है...?
👉जब इस नीति से इच्छुक या किसी अध्यापक का स्थानांतरण ही नहीं हो सकता तो ऐसी स्थानांतरण नीति का क्या मतलब...?
👉इस स्थानांतरण नीति पर शिक्षक संगठनों की क्या राय और प्रतिक्रिया है...?
प्रदेश सरंक्षक डॉ हरिप्रकाश यादव ने कहा कि उ०प्र० मा० शिक्षा चयन बोर्ड को प्रेषित विज्ञापित पदों को छोड़कर वर्ष 2013 में शासन द्वारा निर्धारित जनशक्ति के सापेक्ष पुनः अधीनस्थ कार्यालयों से रिक्तियां पदवार/सँवर्गवार/वर्गवार प्राप्त कर ऑनलाइन पोर्टल पर प्रदर्शित कराने का कष्ट करें जिससे दूरस्थ जनपदों में तैनात प्रधान/प्रवक्ता/शिक्षक आदि का स्थानांतरण सुगमता से शासन की मंशा के अनुरूप हो सके।
इसके साथ ही प्रदेश के विभिन्न जनपदों के जिन जि०वि०नि० द्वारा शासन की भ्रस्टाचार मुक्त स्थानांतरण नीति को भ्रष्टाचार युक्त करते हुये हजारों पदों को जिला स्तर पर ही साठगांठ करके छिपाया गया है उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाए।
प्रतिनिधमंडल में सुरेंद्र प्रताप सिंह ,सुरेश पासी ,डॉ राजेश सिंह, डॉ ब्रजराज यादव, सुधाकर ज्ञानार्थी,फुलेल सिंहपटेल, नरेंद्र सिंह, रामप्रताप सरोज, हरिशंकर, रमेश यादव, रविन्द्र यादव, लालमणि यादव, विमल उत्तम, मिथलेश मौर्य, आशीष गुप्ता, अशोक सिंह, विनोद कुमार, मो० जावेद, प्रकाश जायसवाल, शोभा मिश्रा, चंदा देवी, राहुल यादव और विजय यादव सहित सैकड़ों शिक्षक शामिल रहे।।
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