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    जनपद में अब तक सक्रिय नहीं हुई बाढ़ चौकियां




    कुशीनगर।जनपद मे मानसून सत्र शुरू हुवे एक महीना बीत गए, लेकिन बाढ़ बचाव के नाम पर तैयारियां शून्य हैं। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 15 जून तक चौकियों के साथ बाढ़ शरणालय भी सक्रिय हो जाने चाहिए थे, लेकिन अभी तक मौके पर कुछ भी नहीं दिख रहा है। प्रशासनिक स्तर पर कागज में सभी तैयारियां पूरी करते कर्मचारियों की तैनाती कर दी गई है। जबकि मौके पर न तो कर्मचारी तैनात हैं और न ही जरूरी संसाधन ही उपलब्ध कराया गया है। अब तक जो तैयारी हुई है, वह नारायणी नदी के रुख को देखते हुवे अक्षम साबित हो रही है।
    स्थानीय लोगों का कहना है कि सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र तमकुहीराज में एसडीएम ने अभी तक किसी की तैनाती नहीं की है। इसलिए हल्का लेखपाल, कानूनगो व ग्राम पंचायत अधिकारी के साथ बाढ़ खंड के कर्मचारी चौकियों या बाढ़ शरणालय की हालत देखने तक नहीं पहुंचे। सर्वाधिक प्रभावित होने वाले एपी अर्थात पिपराघाट-अहिरौलीदान बांध शून्य से 17.15 किमी (लंबाई), अमवाखास बांध 10.65 किमी (लंबाई) व छितौनी भैंसहा-14.400 किमी (लंबाई) में है। बाढ़ से प्रभावित होने वाले छोटी गंडक से नेबुआ नौरंगिया व बड़ी गंडक से विशुनपुरा व सेवरही, तरयासुजान व खड्डा थानाक्षेत्र शामिल हैं।
    इस बार बाढ़ चौकियों के लिए 22 स्थान चिह्नित किए गए हैं। इसमें तमकुही में दो, खड्डा में छह, पडरौना में छह, कसया में तीन, कप्तानगंज में तीन हैं। बाढ़ शरणालय के लिए 17 स्थानों को चिह्नित किया गया है। आपदा विशेषज्ञ रवि राय ने बताया कि सभी तैयारियां पूरी हैं। जहां जैसी जरूरत पड़ेगी उसे सक्रिय कर दिया जाएगा।
    मानसून सत्र के पूर्व बाढ़ से बचाव के लिए बांध के किमी 2.400 से किमी 3.500 के बीच स्पर मरम्मत के साथ ही रिवेटमेंट का कार्य हुआ, लेकिन घघवा जगदीश के सामने रिवेटमेंट और स्पर दोनों कट रहा है। नरवाजोत में अभी चार परियोजनाओं पर कार्य तो रहा है, लेकिन सभी अधूरे हैं।
    अधिशासी अभियंता, बाढ़ खंड एमके सिह ने कहा कि बांध के जर्जर स्थानों पर प्रस्तावित योजनाओं पर कार्य कराए जा रहे हैं। अभियंता अपनी देखरेख में करा रहे हैं। पानी का डिस्चार्ज बढ़ने से फिलहाल बांध को कोई खतरा नहीं है।
    डीएम एस राजलिंगम ने कहा कि बाढ़ से निपटने की सभी तैयारियां पूरी हैं। चिह्नित चौकियों तथा बाढ़ शरणालय की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। जरूरत के अनुसार बाढ़ पीड़ितों के लिए खाद्यान्न व अन्य जरूरी सामान वितरित कराने को कहा गया है। बाढ़ शरणालय व चौकियों पर राजस्व कर्मियों को बराबर निगरानी रखना है। इसमें किसी प्रकार की लापरवाही मिलने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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