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    सबकी मनोकामना पूर्ण करते भगवान पृथ्वी नाथ

    सबकी मनोकामना पूर्ण करते भगवान पृथ्वी नाथ 
       गोला गोरखपुर।  गोला विकास खंड के देवकली (कुड़वाआम) गांव  में भगवान पृथ्वी नाथ का विशाल शिव मंदिर है जो क्षेत्र के लोगो की आस्था और विश्वास का केंद्र है। वर्षो पुरानी मान्यता है कि यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है।महाशिव रात्रि के दिन हजारो श्रद्धालू पूजन अर्चन करते है तो सावन भर यहाँ मेले जैसा माहौल रहता है साथ ही दिन में रुद्राभिषेक तो सायं काल में हर वर्ष कभी राम कथा कभी शिव कथा या भागवत की कथा अयोध्या के प्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य विनोद जी महाराज द्वारा शिव भक्तों को कथा का रसपान कराया जाता हैं।साथ ही वर्ष भर कथा मुंडन या मांगलिक कार्य भी सम्पन होते रहते हैं।मंदिर के इतिहास के  सम्बन्ध में गांव के ही सेवानिवृत शिक्षक 78 वर्षीय  संगम दुबे  बताते है कि मन्दिर  कब का बना है कोई जानकारी नही है  उनके  पूर्व के लोगो को भी यह जानकारी नही थी कब का बना है पर पूर्वजों से सुनने को मिलता था किसी ब्यापारी या सेठ अपने परिवार के साथ  रामजानकी मार्ग से यात्रा करते समय कुड़वाआम में  रुक कर विश्राम के दौरान अपनी व्यथा गांव के ही किसी व्यक्ति से बताई कि पुत्र की चाह में धर्म यात्रा में निकला है तो गांव के व्यक्ति द्वारा पृथ्वी से निकले शिव लिंग की महिमा बताने पर उसने मनौती मानी की अगर पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई तो मन्दिर बनायेगा इस प्रकार मन्दिर बना  बनवाया।देवकली गांव  का नाम भी सायद देव स्थान होने के कारण पड़ा हो। मन्दिर सैकड़ों वर्ष तक उपेक्षित पड़ा हुआ था  लेकिन आज आचार्य विनोद जी महाराज के संरक्षण में एवं समाज सेवी श्याममुरारी यादव जी के नेतृत्व में गांव  व क्षेत्र के सहयोग से भब्य पृथ्वी नाथ का मंदिर हनुमान जी का भी मन्दिर व भव्य विश्रामालय बन के तैयार है। समाजसेवी श्याम मुरारी यादव कहते हैं  मन्दिर निर्माण के समय कुछ अप्रत्याशित घटनाएँ घटी जैसे पुराने मन्दिर को जब गिराने के लिये मजदूर जो आये थे चुना सुर्खी से बनी गुम्बद पर जब हथौड़ा चलाये तो उन्हें  बार-बार गुम्बज को घूमने को यहसास हुवा और छोड़ के चले आयें। जेसीबी से जब दीवारों को गिराने लगा जाने तो तीन तरफ की दीवारें गिर जाने के बाद सिर्फ एक गुम्बद पर पूरा मन्दिर का गुम्बद  टिका रहा।गुम्बद के गिरने के बाद गुम्बद पर लगे त्रिशूल का शिवलिंग पर गिर के सीधे शिवलिंग पर खड़े हो जाना उसके पश्चात शिवलिंग को घेरे एक विशाल सर्प को घेर के बैठा रहने।इस प्रकार पृथ्वीनाथ शिवमन्दिर देवकली कुड़वाआम में क्षेत्र के लोगो की आस्था बढ़ रही है।

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