SC का बयान- गरीब और अमीर के लिए 2 अलग-अलग कानूनी सिस्टम नहीं हो सकते
नई दिल्ली। बांसगाव संदेश। रणधीर कुमार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि भारत में 2 समानांतर कानूनी प्रणालियां नहीं हो सकती हैं। एक अमीर लोगों के लिए जिन्हें खूब सारे संसाधन उपलब्ध हैं और वो राजनीतिक तौर पर भी ताकतवर हैं। दूसरा गरीब और छोटे लोग जो संसाधनों से वंचित हैं।न्यायालय ने ये भी कहा कि जिला न्यायपालिका से औपनिवेशिक सोच को भी हटाना होगा, जिससे कि नागरिकों के विश्वास को बचाया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा कि जब न्यायाधीश सही के लिए खड़े होते हैं, तो उन्हें निशाना बनाया जाता है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या मामले में मध्य प्रदेश में बसपा विधायक के पति को दी गई जमानत को खारिज करते हुए कल ये अहम टिप्पणियां कीं।
न्यायालय ने कहा कि एक स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका लोकतंत्र का आधार है और इस पर किसी प्रकार का राजनीतिक दबाव नहीं होना चाहिए। न्यायालय ने कहा, भारत में अमीर, संसाधनों से युक्त और राजनीतिक रूप से ताकतवर लोगों और न्याय तक पहुंच एवं संसाधनों से वंचित छोटे लोगों' के लिए 2 अलग-अलग समानांतर कानूनी प्रणालियां नहीं हो सकती। शीर्ष अदालत ने कहा, दोहरी व्यवस्था की मौजूदगी कानून की वैधता को ही खत्म कर देगी। कानून के शासन के लिए प्रतिबद्ध होने का कर्तव्य सरकारी तंत्र का भी है।
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