गगहा गोरखपुर। गगहा में लगभग 600 वर्ष पुराना सूर्य राज मंदिर स्थित है
गगहा गोरखपुर।लगभग 600 वर्ष पुराना गगहा का सूर्य राज मन्दिर
धर्मसेन शिवमंदिर नाम से जानते है ज़्यादातर लोग
स्थानीय लोग बताते हैं कि छठी शताब्दी गुप्त वंश काल में हुई मूर्ति स्थापना
भौगोलिक दृष्टिकोण से गगहा का सबसे ऊंचा स्थान
सावन माह में जलाभिषेक के लिये सोमवार, शुक्रवार को लगती है भारी भीड़
गगहा गोरखपुर जनपद से करीब 41 किलोमीटर दक्षिण राजमार्ग 29 (गोरखपुर-वाराणसी) पर स्थित बाबा शक्ति सिंह की तपोभूमि गगहा मे बाबा शक्ति सिंह के वंशज चंद्रवंशी क्षत्रिय लोग निवास करते है। यहां एक प्राचीन सूर्य मंदिर स्थित है। इस मंदिर की क्षेत्र में काफी मान्यता है। इस मंदिर को ज़्यादातर लोग धर्मसेन शिवमंदिर के नाम से भी जानते है।
इस गांव के राजू पांडे ,कृष्णानंद पांडे बताते हैं की गगहा की भूमि अपने में तमाम गौरवशाली इतिहास को संजोए हुए है। गगहा के राजस्व गांव देवकली (धर्मसेन) में स्थित भगवान सूर्य का ऐतिहासिक मंदिर इसका प्रमाण है।
पुरातत्व विशेषज्ञों का कहना है कि इस मंदिर में मौजूद पत्थर के शिलालेखों से ये बात पता चलती है कि छठी शताब्दी गुप्त वंश साम्राज्य के शासन काल में ये मंदिर बनवाया गया था। और 600 ईसा में भगवान सूर्य की मूर्ति यहां स्थापित की गयी थी।
उसी समय से इस गांव में वैदिक सूर्यवंशी शाकलद्वीपीय ब्रह्मण भी निवास करते है। जो इस मंदिर का देखरेख करने के लिये बसाये गये हैं। मंदिर का प्रांगण एक एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है। जिसमे मनौती पूरी होने पर श्रद्धालुओं द्वारा बनवाई गयी अन्य मंदिरों की श्रृंखला भी मौजूद है।
यहां भगवान सूर्य की (नर-नारी रूप) दो प्रमुख प्राचीन मूर्ति के अलावा मनौती पूरी होने पर जनसहयोग से लोगों ने भगवान शंकर, गणेश और बजरंगबली के साथ अम्बिका के रूप में देवी दुर्गा की प्रतिमा भी स्थापित की हुई है।
मंदिर की खासियत:
सीधे मूर्ति पर पड़ती है सूर्य की किरणें सूर्य राज मंदिर को खास तरह से बनाया गया है। इस मंदिर में कोई भी रात्रि विश्राम नहीं करता। मंदिर के समीप तारावती नदी बहती थी जिसका प्रमाण तारा तालाब आज भी यहाँ मौजूद है, ऊपर से देखने पर नदी का बहाव का भौगोलिक निशान आज भी प्रतीत होता है। इस ऐतिहासिक सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य की पूजा लड्डू व जनेऊ, पुष्प, धूप, दीप आदि से की जाती है। वर्षों से यहाँ पर सावन माह में श्रद्धालु जलाभिषेक करते है तथा महाशिवरात्रि पर दिन में भव्य मेला लगता है और रात्रि में मंदिर से दूर गांव में धनुषयज्ञ होता है। मंदिर परिसर से अत्यंत विषैले सर्प आये दिन निकलते दिखाई पड़ते है किंतु किसी को भी क्षति नहीं पहुचते है।
ऐतिहासिक मंदिर:
देवकली गांव में स्थित सूर्यराज मंदिर एक महत्वपूर्ण धार्मिक और ऐतिहासिक स्थान है, जिसे भारत सरकार के पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा गोरखपुर जिले के सूर्य मंदिर की मान्यता प्राप्त है। यह सूर्य मंदिर गगहा प्रखंड के देवकली (धर्मसेन) में स्थित है। यह गोरखपुर जिला मुख्यालय से करीब 41 किमी की दूरी पर है। जिसे स्थानीय लोगों द्वारा पुनर्निर्मित किया गया है। यह सूर्यदेव के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है जिसका ऐतिहासिक महत्व भी है।
शिल्पकला का बेहतरीन नमूना:
मंदिर का निर्माण कुछ इस प्रकार किया गया है कि सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे। सभामंडप के आगे एक विशाल तालाब है जो तारा तालाब के नाम से प्रसिद्ध है। स्थानीय निवासी चंद्रप्रकाश पांडेय, कृष्ण कुमार पांडेय, चन्द्रिका पांडेय, दीपक पांडेय आदि ने सरकार से इस मंदिर के सुंदरीकरण की मांग की है।
भौगोलिक दृष्टिकोण:
यह मंदिर एक ऊंचे टीले पर स्थित है, जो भौगोलिक दृष्टिकोण से गगहा का सबसे ऊंचा स्थान है।
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