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    गाजर घास फसल एवं सब्ज़ियो के साथ-साथ मनुष्य की त्वचा के लिए भी है घातक



    बहराइच । बाँसगांव संदेश (बी0एन0 सिंह)। जिला कृषि रक्षा अधिकारी आर.डी. वर्मा ने बताया कि जिले में 16 से 22 अगस्त 2021 तक ‘‘गाजर घास नियंत्रण जागरूकता सप्ताह’’ के रूप में मनाया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत गाजर घास के नियंत्रण एवं उन्मूलन सम्बन्धी सुझाव एवं संस्तुतियो का व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है।

    श्री वर्मा ने बताया कि वर्तमान समय में बारिश/नमी के कारण फैलने वाली गाजर घास सिर्फ फसल एवं सब्ज़ियो को ही नुकसान नहीं पहुॅचाती है, बल्कि मनुष्य की त्वचा के लिए भी अत्यधिक घातक है। यह फसलो को 33 प्रतिशत तक नुकसान पहुॅचा सकती है। विशेषज्ञो के अनुसार गेन्दा के पौधे लगाकर गाजर घास के प्रभाव को कम किया जा सकता है। 

    उन्होंने बताया कि गाजर घास (पार्थेनियम) से खाघान्न फसलो, सब्जियो एवं उघान में प्रकोप के साथ-साथ मनुष्यो की त्वचा सम्बन्धी बीमारियो एग्जिमा, एलर्जी, बुखार एवं दमा जैसी बीमारियो का मुख्य कारण है। गाजर घास वर्ष भर फल फूल सकता है, परन्तु वर्षा ऋतु में इसका अधिक अंकुरण होने पर यह एक भीषण खरपतवार का रूप ले लेता है। वर्षा ऋतु में गाजर घास में फूल आने से पहले जड से उखाडकर कपोस्ट एवं वर्मी कम्पोस्ट बनाना चाहिए। वर्षा वाले क्षेत्रो में शीध्र बढने वाली फसलें लेनी चाहिए। घर के आस-पास बगीचे, उघान एवं संरक्षित क्षेत्रो में गेन्दें के पौधे उगाकर गाजर घास के फैलाव एवं वृद्वि को रोका जा सकता है। 

    जिला कृषि रक्षा अधिकारी श्री वर्मा ने बताया कि इसके रासायनिक नियंत्रण हेतु ग्लायफोसेट 1 से 1.5 प्रतिशत दवा अथवा मैट्रीब्यूजिन 0.3 से 0.5 प्रतिशत दवा का छिडकाव करना चाहिए। जैविक नियंत्रण हेतु मैक्सिकन बीटल, जाइगोग्रामा बाइक्लोराटा नामक कीट को वर्षा ऋतु में गाजर घास पर छोडना चाहिए। किसान भाई किसी भी समस्या/सुझाव हेतु अविलम्ब सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली (पी.सी.एस.आर.एस.) के नम्बर 9452247111 एवं 9452257111 पर व्हाटसएप या टेक्सट मैसेज कर कीट/रोग के नियन्त्रण के सम्बन्ध में सलाह प्राप्त कर सकते है।

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