Header Ads

ad728
  • Breaking News

    चौरी चौरी जन विद्रोह के नायक अब्दुल्लाह के इकलौती पौत्री सबुरतन निशा का निधन



    ब्रह्मपुर गोरखपुर। अब्दुल्लाह की फांसी 3 फरवरी 1923 को बाराबंकी जेल प्रातः 6 बजे हुई थी।अब्दुल्लाह के फांसी के दौरान उनके इकलौते पुत्र रसूल महज 5 वर्ष के थे। रसूल को पांच माह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी का पेंशन मिला था। उनके निधन के बाद पेंशन की हकदार रसूल की इकलौती पुत्री सबुरतन थी। लेकिन सरकारों की लापरवाही से पेंशन नहीं मिली। शहीद की वंशज जीवन भर मुफलिसी में रही और मुफलिसी में दम तोड़ दी। शुक्रवार को अपराह्न 3 बजे राजधानी स्थित कब्रगाह में सुपुर्द ए खाक कर दिया गया। इस मौके पर ग्रामीणों की भीड़ थी। सबुरतन के के असामयिक निधन पर शिक्षक योगेन्द्र जिज्ञासु ने शोक प्रकट करते हुए कहा सबुरतन एक श्रमशील महिला थी। उनको सरकारों की उपेक्षा का भारी मलाल था।


    उनके निधन पर रामचन्द्र यादव इंटर कॉलेज राजधानी में प्रधानाचार्य राम उग्रह यादव समेत सभी शिक्षकों ने दो मिनट का मौन रख कर दिवंगत की आत्मा की शांति हेतु प्रार्थना की।

    कोई टिप्पणी नहीं

    thanks for comment...

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728
    ad728