सिद्धपीठ स्वयंभू बाबा त्रिलेश्वरनाथ के धाम की बहुत मान्यता , श्रद्धालुओं का लगा रहता है ताता
सिद्धपीठ स्वयंभू बाबा त्रिलेश्वरनाथ के धाम की बहुत मान्यता , श्रद्धालुओं का लगा रहता है ताता
तीयर / बांसगांव संदेश
गोरखपुर जनपद से करीब 50 किलोमीटर दक्षिण राजमार्ग 29 (गोरखपुर-वाराणसी) से कौड़ीराम गोला मार्ग पर स्थित तीयर ग्राम में सिद्धपीठ
स्वयंभू बाबा त्रिलेश्वरनाथ का धाम है। जिसके नाम पर ही तीयर ग्राम का नाम स्थापित है।
जहाँ एक अद्भुत शिवलिंग दृश्यमान रहता है। जिसका अद्भुत शिखर 75 फिट से ही अपना छबि बिखेरता है। इस सिद्धपीठ की क्षेत्र में काफी मान्यता है। जिससे श्रद्धालुओं हुजूम अक्सर बना रहता है।
विक्रम संवत से भी पूर्व जुड़ा है इतिहास
सिद्धिपीठ के बड़े पंडित मुनिवर पाण्डेय जी ने बताया कि अतीतकाल में इस सिद्धिपीठ के ही बगल से माँ सरयू नदी का अभिरल धारा निकलती थी। आज भी माँ सरयू की नदी के तट का कुछ साक्ष्य उपलब्ध है। उन्होंने बताया की श्री अनूप सिंह जी के प्रपौत्र श्री लाड बक्श सिंह के हाथों इस मंदिर जीणोद्धार किया गया था। जिसके साक्ष्य के रूप में ताम्रपत्र का शिलापट्ट स्थापित था। जिस पर विक्रम संवत 3 अंकित था। इस सिद्धिपीठ के निर्माण का सही समय नही पता है। बस उस शिलापट्ट पर लिखी बात से यही पता चलता है कि इसका जीणोद्धार विक्रम संवत 3 में हुआ था
प्रचलित कथाएँ
पूर्वजों द्वारा कथा सुनने में आता है कि अतीतकाल में यहां विशाल वट वृक्षों का एक बड़ा बाग हुआ करता था। उन्ही किसी वटवृक्ष के जड़ से ही बाबा तिलेश्वर नाथ जी का उद्भभव हुआ।
जिससे वटवृक्ष दो भाग में फट गया।
उस समय थारू जाति के लोग जो वनवासियों के रूप में यहाँ रहा करते थे। वह इसे देख कर के गोपालपुर राजा प्रयाग चंद को इस बात को बताएं।
गोपालपुर के राजा प्रयाग चंद अपने दल बल के साथ आये।
इस मंदिर का पूजा अर्चना कर सिद्ध पुरोहित पंडितों द्वारा नाम रखा गया। राजा ने ही यहाँ एक गांव भी बसाया। जिसका नाम भी इसी सिद्धपीठ के नाम पर रखा गया।
सिद्धिपीठ की विशेषता
पंडित जी ने बताया कि इस सिद्धिपीठ कि विशेषताये बहुत है जैसे कि नागों का आना जाना लगा रहता है कई बार यहाँ सिद्धिपीठ पर भी नागों को लिपटा देखा गया है। इस सिद्धिपीठ का नागा साधुओं से भी जुड़ाव है वो हर वर्ष यहाँ आते रहते है।
क्षेत्र के लोगो की इस सिद्धिपीठ से बहुत आस्था है अपने ईप्सित मनोकामनाएं पूर्ति के लिए पूजा अर्चना करने आता है।
ऐसा प्रमाण है कि पुत्र प्राप्ति के लिए श्रद्धालु मन्नत मांग कर अपनी ईप्सितकामना को पूर्ण करते है।
पिछले कई सालों से यहाँ शिव शक्ति परिवार के द्वारा साप्ताहिक, मासिक, वर्षिक कार्यक्रम चलाए जाते है।
साप्ताहिक में प्रत्येक सोमवार को शिव जी का खोडषो प्रचार द्वारा पूजन अथवा रुद्राअभिषेक कराया जाता है। मासिक में प्रत्येक पूर्णिमा को शिव जी का पूजन, हवन, बृहतभण्डारा का आयोजन किया जाता है। वार्षिक में श्री राम विवाह के उत्सव में यज्ञ , हवन , प्रवचन व बृहतभण्डारा का आयोजन किया जाता है।
ये सारे कार्यक्रम निशुल्क शिवशक्ति परिवार, क्षेत्रवासियों एवम ग्रामवासियों के सहयोग से कराया जाता है।
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