दलित ग्राम प्रधान की हत्या मामले में धरने पर बैठी पूर्व सांसद
सांसद सावित्री बाई फुले अपने तीखे तेवरों के लिए बहुत ही मशहूर रही हैं. बसपा से जिला पंचायत सदस्य बनने के बाद भाजपा में पहुंचीं सावित्री को वर्ष 2012 में बल्हा विधान सभा से टिकट दिया गया था.इस चुनाव में धमाकेदार जीत से उनका भाजपा में बड़ा कदम रहा है. इसका फायदा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा संगठन ने सभी दावेदारों को दरकिनार कर उन्हें बहराइच लोकसभा सीट से मैदान में उतारा. मोदी लहर में जीत हासिल कर संसद पहुंची सांसद फूले उस समय से सुर्खियों में आईं. जब बहराइच-बाराबंकी हाईवे की गुणवत्ता को लेकर वह धरने पर बैठ गईं. इस दौरान सांसद ने अनुसूचित जाति, आरक्षण व संविधान को लेकर अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.
सांसद ने खुद को प्रदेश में अनुसूचित जाति के नेता के रूप में स्थापित करने के लिए नमो बुद्धाय सेवा समिति के माध्यम से लखनऊ समेत लगभग दो दर्जन जिलों में रैली भी कर चुकी हैं. डेढ़ वर्षो से आरएसएस, भाजपा संगठन, सरकार और प्रधानमंत्री मोदी को कोस रहीं सांसद फुले संगठन में बनी रहीं. अपने को कांशीराम का अनुयाई और नानपारा में अपने घर के गेट पर लगी कांशीराम की प्रतिभा भी उनकी आस्था का केंद्र बिंदु रही है.
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