मकान नहीं रहने से , बंद से बदतर जीवन जीने को मजबूर 15साल से महिला पीड़ित
पूनम सोनकर नाम की महिला अपने पति,सास व तीन बच्चों के साथ ग्राम बैरियहवां,तहसील- गोला,ब्लाक -गगहा जिला-गोरखपुर, पिछले पंद्रह वर्षों से एक अदद प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत मकान के लिये अधिकारियों के चक्कर काट रही है।कच्चा पुस्तैनी मकान छः साल पहले ढह चुका है।ग्राम प्रधान, हलका लेखपाल व राजस्व विभाग की जांच के उपरांत भी गिरे घर/मकान का मुआवजा अभी तक नहीं मिल पाया है, जबकि प्रार्थिनी अनुसूचित जाति से है तथा गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रही है ।इसके पति द्वारा सब्जी बेच कर गुजर बसर किया जा रहा है।महिला की शिकायत जो कि मुख्यमंत्री को प्रेषित है जिसके अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना से ग्राम प्रधान द्वारा सूची से नाम बार बार काट दिया जा रहा है और दश हजार रूपयों की मांग की जा रही है जबकि इस गरीब ने अपने जीवन में इतने रूपये इकट्ठे कभी देखे नहीं तो दे कहाँ से।आज स्थिति यह है कि पीड़ित महिला इस बरसात के मौसम मे भी प्लास्टिक की पन्नी से छत बनाकर गुजर बसर करने को बेबस व लाचार है तथा यह स्थिति कमोवेश पिछले छःसाल से अनवरत जारी है।ग्राम प्रधान, लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार व बीडीओ किसी को भी इस दलित की आवाज खनकते सिक्कों की कमी के कारण सुनाई नहीं पड़ रही है।यह स्थिति मुख्यमंत्री जी के गृह नगर की है जो प्रशासन की कार्य प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह लगाती है।इस मामले की जांच जिलाधिकारी के स्तर से की जानी चाहिए तथा दोषी प्रधान को तत्काल प्रधानी से बेदखल करना चाहिए।
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