Header Ads

ad728
  • Breaking News

    डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा के प्रभाव वाले जिले में 83 उद्योग/फैक्ट्री वर्षों से पड़े बंद

    *डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा के प्रभाव वाले जिले में 83 उद्योग/फैक्ट्री वर्षों से पड़े बंद*

    डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने बंद पड़े 83 उद्योगों वाली बात को नकारा

    एक कार्यक्रम में डिप्टी सीएम नये उद्योगों को स्थापित कर नौजवानों को रोजगार देने का कर रहे थे बखान

    रायबरेली। जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार नए उद्योगों की स्थापना करके लोगों को रोजगार देने की बात कह रही है वही रायबरेली में 80 के दशक से अब तक लगभग 83 छोटे-बड़े उद्योग बंद हो चुके हैं । इस तरफ़ ना तो किसी जनप्रतिनिधि ध्यान जा रहा है और ना ही शासन का। जबकि जिले के प्रभारी मंत्री व सूबे के उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने तो यहां तक कह दिया कि रायबरेली में कोई भी फैक्ट्री या उद्योग बंद नहीं है। जबकि सरकार कम लागत में इन उद्योग धंधों को शुरू करके रोजगार मुहैया करा सकती है ।

    रायबरेली जनपद के लिए पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भाग्य विधाता के रूप में आई थी। उन्होंने रायबरेली के लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए सैकड़ों फैक्ट्रियों की स्थापना करवाई और व्यवसाय को बढ़ावा देने का काम भी शुरू किया। उन फैक्ट्रियों में हजारों हजार लोग अपने परिवार का काम करके अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे लेकिन धीरे-धीरे 90 के दशक के बाद फैक्ट्रियों का बंद होना शुरू हुआ और अब तक रायबरेली जनपद में कुल 83 फैक्ट्रियां ऐसी है जिसमें ताले लग चुके हैं । बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियां चाहे वह यूपी स्टेट स्पिनिंग मिल हो ,एलएमएल वेस्पा कंपनी हो, भवानी पेपर मिल हो, मुंशीगंज की शुगर मिल हो, रावल पेपर मिल हो सभी में ताले लग चुके हैं।

    बंद पड़ी फैक्ट्रियों की हालत बद से बदतर होती जा रही है। जो मशीनरी है उस में जंग लग रहे हैं तो वही जो बिल्डिंगे हैं वह भी जर्जर होती जा रही हैं क्योंकि बंद पड़ी फैक्ट्रियों का ना तो मेंटेनेंस हो रहा है और ना ही उसकी देख रेख ही कोई कर रहा है। वही प्रदेश सरकार अगर चाहे तो थोड़ा धन लगाकर वह इन कंपनियों को शुरू कर सकती है क्योंकि उनके पास इंफ्रास्ट्रक्चर भी है और लगभग मशीनरी भी। इससे इतर ना तो कभी रायबरेली के जनप्रतिनिधियों ने यह मुद्दा उठाया और ना ही प्रदेश सरकार का ध्यान आकृष्ट हुआ। जब सूबे के उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा का ध्यान इधर आकृष्ट कराने की कोशिश की गई तो उन्होंने साफ झूठ बोल दिया। कहा रायबरेली में कोई भी फैक्ट्री नहीं बंद है। अगर यही हाल नेताओं का रहा तो इन फैक्ट्रियों को शुरू करने का सपना महज एक सपना ही रह जाएगा।

    वर्जन –

    विजय विद्रोही
    पूर्व अध्यक्ष, मजदूर संघ

    यहां उद्योग बंद होने का सिलसिला 90 के दशक में शुरू हुआ था। यूपी स्टेट इंस्टॉलेशन सिस्टम, यूपी टायर टीयुब दोनों ही 90 के दशक में बंद हो गई। अपकाम केबिल,स्पीकिंग मिल, सिग्मा से लेकर सुगर मिल तक धीरे- धीरे 2000 आते आते यह सभी भी बंद हो गई। इस तरह से इंजीनियर कॉन्प्लेक्स, इंडस्ट्रीज एरिया साइड 1 और साइड 2, सलोन इडस्ट्री एरिया, बछरावां इंडस्ट्रीज एरिया इन चारों उद्योगिकी क्षेत्रों की गणना करे तो इस तरह से करीब 86 उद्योग आज की डेट में बंद पड़ी हैं। सरकारी उद्योग नहीं तो इसलिए बंद हो गई कि सरकार उन्हें मार डालना चाहती थी सरकार के मंशा उसे चलाने की नहीं थी। तो वह पब्लिक सेक्टर से सरकार पीछे हटती रही। ऐसे करते सरकार चलती रही और सभी मिलकर उसी पॉलिसी पर काम करती रही।सपा की गोवर्मेंट हो,बसपा की गोवर्मेंट हो या भाजपा की गोवर्मेंट रही वो सब ने बारी बारी अपना अपना काम करती रही है पब्लिक सेक्टर up स्टेट स्पिनील मिल,स्वदेशी कॉटन मिल, up स्टेट ट्रांसफॉर्मर मिल तो एक तरफ से बाकी इंडस्ट्री सरकार ने पॉलिसी बनाई खाद उद्योग,कागज उद्योग, वेस्पा कार, शुगर मिल भी खत्म हो गए। शुगर मिल खत्म होने की वजह से 2800 मजदूर बेरोजगार हो गए।

    कोई टिप्पणी नहीं

    thanks for comment...

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728
    ad728