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    दीवानी न्यायालय में लंबित बाद को दर किनार करते हुए एस डी ओ नहर ने सीमांकन करने का किया प्रयास



     राजस्व टीम के  न होने से  सीमांकन  का कार्य रहा अधूरा


    एस डी एम गोला ने सिविल न्यायालय में लंबित बाद को देख राजस्व निरीक्षक को हस्तक्षेप न करने का दिया आदेश


    गोला बाजार गोरखपुर 7 सितंबर।

    गोला  तहसील क्षेत्र के ग्राम अतरौरा में काफी दिनों से चल रहे  बासमती व देवब्रत यादव के बीच जमीनी बिबाद में  बासमती के आराजी नम्बर 459 से सरयू नहर की मुख्य शाखा निकलने के कारण देवब्रत द्वारा बार बार दिए जा रहे आई जी आर एस पर नहर बिभाग की  जमीन का सीमांकन राजस्व बिभाग व नहर बिभाग के  संयुक्त टीमद्वारा  होना मंगलवार को सुनिश्चित था। लेकिन सिविल न्यायालय में  बासमती द्वारा ऊक्त आरजियात के बाबत दाखिल बाद संख्या 436/2021  व उप जिलाधिकारी न्यायालय  दाखिल  बाद संख्या 228/21धारा 116 व बासमती बनाम ग्राम सभा  धारा 24 का अवलोकन करते हुए उप जिलाधिकारी गोला राजेन्द्र बहादुर ने राजस्व निरीक्षक को स्पष्ट आदेश जारी किया कि मा सिविल न्यायालय में बाद लंबित है  मा सिविल न्यायालय के  आदेश के कोई अबैध हस्तक्षेप  न करें ।

    ऊक्त आदेश का बावजूद सरयू नहर बिभाग प्रथम के सहायक अभियंता सुनील कुमार शर्मा अपनी टीम जिलेदार नरेंद्र प्रसाद  जे ई राधे मोहन  दयाशंकर  अमित कुमार सर्वेश  सतीश विनोद के साथ ऊक्त आराजी नम्ब र का सीमांकन करने पहुच गए । ऊक्त आरजियात का मालिक ने मा एस डी एम गोला  का आदेश व सिविल न्यायालय द्वारा प्राप्त जबाब सवाल की प्रति एस डी ओ को उपलब्ध कराया ।लेकिन एस डी ओ ऊक्त कागजात को मानने के लिए तैयार नही हुये। और अपने स्तर से यह कहते हुए सीमांकन आरम्भ कर दिया कि  नहर बिभाग के जमीन का मालिक हम है दूसरा कौन होता है ।उन्होंने चौड़ाई का सीमांकन कराया ।लेकिन जब उनसे कहा गया कि ऊक्त  आराजी से नहर बिभाग में गयी जमीन के लम्बाई का सीमांकन कर रकबा बता दीजिए ।तब उनकी कार्यवाही रुक गयी ।और कहा कि जब तक राजस्व टीम नही होगी ।तब तक नहर के जमीन का सीमांकन होना असम्भव है । और दोनो पक्षो से एक लिखित लिया कि जब तक सीमांकन राजस्व टीम नही करती है तब तक दोनो पक्ष किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य नही करेंगे ।जिस पर आरजियात के मालिक ने हस्ताक्षर बना दिया लेकिन दूसरा पक्ष हस्ताक्षर बनाने से मुकर गए । जिस पर एस डी ओ ने कहा कि हम उप जिलाधिकारी महोदय से सीमांकन के लिए अनुरोध करूंगा ।और यह कह कर चले गए ।

    प्रश्न यह खड़ा पड़ा है कि तहसील के मुखिया का आदेश नहर बिभाग के लिए कोई मायने नही रखता है ।सिविल न्यायालय के आदेश को कुछ मानने को तैयार नही है ।जबकि मा सिविल न्यायालय में अधिशाषी अधिकारी नहर बिभाग व उ प्र सरकार पक्षकार है ।शासकीय अधिवक्ता हाजिर होकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हुए जबाबदेही दाखिल कर दिए है । जबकि शासन का स्पष्ट निर्देश है कि भूमिधरी की जमीन में अगर सिविल न्यायालय में मुकदमा चल रहा है तो उसका निर्णय मा न्यायालय द्वारा ही होगा ।कोई हस्तक्षेप नही करेगा ।  लेकिन नहर बिभाग के इस कार्यवाही से प्रश्न चिन्ह  खड़ा हो चुका है ।

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