उलमा-ए-किराम ने तहफ्फुजे नामूसे रिसालत बिल, मस्जिद, मदरसा व मुसलमानों की सुरक्षा के लिए प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
उलमा-ए-किराम ने तहफ्फुजे नामूसे रिसालत बिल, मस्जिद, मदरसा व मुसलमानों की सुरक्षा के लिए प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
-मक्का व मदीना शरीफ में मजारों के पुन: निर्माण की मांग
-मदीना शरीफ में सिनेमा हॉल खोले जाने के फैसले पर नाराज़गी
गोरखपुर। गुरुवार को तंजीम उलमा-ए-अहले सुन्नत के एक प्रतिनिधिमंडल ने मुफ़्ती-ए-शहर मुफ़्ती अख्तर हुसैन मन्नानी के नेतृत्व में तहफ्फुजे नामूसे रिसालत बिल पास करने, मस्जिद, मदरसा, दरगाह व मुसलमानों की सुरक्षा, मक्का-मदीना शरीफ में मजारों के पुन: निर्माण, मदीना शरीफ में सिनेमा हॉल खोले जाने के फैसले पर नाराज़गी जताते हुए प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन डीएम ऑफिस पर जिला प्रशासन को सौंपा।
उलमा-ए-किराम ने भारत सरकार से मांग करते हुए कहा कि संसद में तहफ्फुजे नामूसे रिसालत बिल पास किया जाए। दीन-ए-इस्लाम, पैग़ंबर-ए-इस्लाम, क़ुरआन, सहाबा, अहले बैत व औलिया की शान में की जा रही तौहीन बंद होनी चाहिए। हमारे मदरसे, मस्जिदें व खानकाहें पिछले कई सौ वर्षों से भारत में शांति और भाईचारगी का संदेश फैला रहे हैं। देश में शांति और व्यवस्था के लिए उक्त बिल पास किया जाना जरूरी है। हर दिन सोशल मीडिया के माध्यम से सांप्रदायिक तत्व दीन-ए-इस्लाम, पैग़ंबर-ए-इस्लाम, क़ुरआन, सहाबा, अहले बैत व औलिया की शान में गुस्ताखी कर रहे हैं। इस बिल से अराजक व सांप्रदायिक तत्वों के मुंह पर लगाम लगाई जा सकती है। साथ ही मुसलमानों, मस्जिदों, मदरसों व दरगाहों की हिफ़ाजत के लिए भी जरूरी व ठोस कदम उठाया जाए।
उलमा-ए-किराम ने कहा कि सऊदी अरब के मदीना शरीफ में सिनेमा हॉल खोलने के फैसले पर भारतीय मुसलमानों में नाराज़गी है। सऊदी अरब में आधुनिकता की आड़ में एंटी-इस्लामिक कानूनों के पीछे योजनाबद्ध षड्यंत्र है, तकि मुसलमानों के दिलों में पश्चिमी सभ्यता के लिए जगह बनाई जा सके। सऊदी के किंग सलमान का यह कदम उम्मा के लिए जहर के जैसा है क्योंकि वे इन पवित्र जगहों पर समाज की बुराइयों से अपने आपको शुद्ध करने के लिए जाते हैं। साफ पता चलता है कि किंग सलमान ने मक्का और मदीना की पवित्रता को नष्ट करने की साजिश की है। मक्का और मदीना को एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने का उनका ख्वाब और कुछ नहीं बल्कि इस्लाम पर हमला है।
उलमा-ए-किराम ने भारत सरकार से मांग करते हुए कहा कि वह भारतीय मुसलमानों की भावना का ख्याल रखते हुए सऊदी हुक़ूमत से इस बाबत पुन: विचार के लिए दबाव बनाए। हज़रत सैयदना उस्मान, हज़रत सैयदा आयशा, हज़रत सैयदा फातिमा ज़हरा, हज़रत सैयदना इमाम हसन सहित मक्का व मदीना में तोड़ी गई तमाम मुक़द्दस हस्तियों के मजारों का पुन:निर्माण सऊदी हुक़ूमत द्वारा करवाया जाए। मक्का शरीफ स्थित पैग़ंबर-ए-इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम के घर को संरक्षित किया जाए।
ज्ञापन सौंपने वालों में नायब काजी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी, दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद मस्जिद के इमाम मुफ़्ती मुनव्वर रज़ा रज़वी, मस्जिद खादिम हुसैन के इमाम कारी अफज़ल बरकाती, कारी अनीस, चिश्तिया मस्जिद के इमाम हाफ़िज़ महमूद रज़ा क़ादरी, मोहम्मद दानिश अशरफी, बेलाल मस्जिद के इमाम कारी शराफत हुसैन क़ादरी, कारी मोहम्मद अनस रज़वी आदि शामिल रहे।
कोई टिप्पणी नहीं
thanks for comment...