चौरी चौरा जनक्रांति में पिछड़े, दलितों और अल्पसंख्यकों के योगदान को किसी भी हालत में मिटने नहीं देंगे चाहे इसके लिए मुझे कोई भी कुर्बानी करनी पड़े
पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यक जाति जैसे अहिर, केवट, राजभर, चमार व फकीर जाति के शहीदों के नाम के आगे से उनकी जाति क्यों हटाई गई, जबकि सवर्ण जाति के शहीदों के नाम के आगे उनकी जाति लिखी हुई है और उनके नाम को पीछे से लाकर सबसे आगे स्मारक पर लिख दिया गया और आगे लिखें पिछड़े, दलितों व अल्पसंख्यकों के शहीदों के नाम को स्मारक के पीछे लिख दिया गया. आखिर सरकार क्या संदेश देना चाहती हैं.
ऐसा प्रतीत होता है कि कुछ सियासी ताकतें सवर्ण, पिछड़े, दलित व अल्पसंख्यक जातियों के बीच आपसी भाईचारा और सौहार्द बिगाड़ कर राजनीति की रोटियां सेकना चाहती हैं जिसे हम किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने देंग
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