प्रेमी ह्रदय में परमात्मा का होता है वाश
सहजनवा गोरखपुर बांसगांव संदेश/ प्रेम ही जगत का सार है, प्रेम के बगैर संसार की कल्पना नहीं की जा सकती है । जिसके हृदय में प्रेम होता है उसके हृदय में परमात्मा उसमें स्वयं निवास करते हैं । यहां तक कि प्रेम के लिए प्रेमी तो प्राण देकर उसकी महत्ता को कम नहीं होने दिया है ।उक्त बातें उज्जैन से पधारे राघव माधव जी महाराज हरपुर बुदहट क्षेत्र के रघुनाथपुर पटखौलीया टोला मे चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के अन्तिम दिन श्रद्धालुओं को कथा का रसपान कराते हुए कही। आगे उन्होंने कहा कि कठोर से कठोर काठ का भेदनदन करने में सक्षम भौंरा प्रेम की अधिकता के कारण कमल के कोमल पंखुड़ी का भेंदन नहीं कर पाता है। चातक पक्षी के उदाहरण को देते हुए कहा कि बहेलिए के बाण से आहत हुआ चातक पक्षी गंगा में गिरने के बावजूद भी मोक्ष दायिनी गंगा के पवित्र जल का पान नहीं किया । क्योंकि वह स्वाति नक्षत्र की बूंद से अत्यंत प्रेम करता था।कथा के दौरान भगवान कृष्ण व रुक्मिणी जी के विवाह का अद्भुत मंचन भी बाल्य कलाकारों ने किसी। विवाह मे महिलाओं ने विवाह गीत गाये पाव पूजी।कथा के दौरान जम्मू के बाबा आशीष पाठक,अनिल पाठक,मनीष पाठक,अरविंद पाठक,अंजनी देवी,संध्या देवी ,गुङिया पाठक,प्रिया पाठक,मधुसूदन पाठक,अमरनाथ सहित तमाम श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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