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    क़ुरआन-ए-पाक पढ़ें, समझें और अमल करें : मुफ्ती मेराज

    क़ुरआन-ए-पाक पढ़ें, समझें और अमल करें : मुफ्ती मेराज
     
    गोरखपुर। सैयद आरिफपुर में शनिवार देर रात जलसा हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत ओबैदुल्लाह ने की। नात व मनकबत हाफ़िज़ शाकिब रज़ा ने पेश की। संचालन हाफ़िज़ अज़ीम अहमद नूरी ने किया।

    मुख्य अतिथि मुफ्ती मेराज ने कहा कि क़ुरआन-ए-पाक दुनिया के हर इंसान व हर समाज के लिए सही रास्ते पर चलने का और एक बेहतरीन ज़िंदगी जीने का रास्ता है। हर इंसान को क़ुरआन पढ़ना चाहिए और उसे समझना चाहिए। पढ़ कर, समझ कर उस पर अमल करना चाहिए। दीन का इल्म हासिल कर दीन-ए-इस्लाम के साथ रिश्ता मजबूत किया जाए। दीनी तालीम हासिल करने पर जोर दीजिए। दुनियावी तालीम भी हासिल  कीजिए। हलाल कमाई से खुद की और बच्चों की परवरिश कीजिए।

    अध्यक्षता करते हुए मुफ्ती मोहम्मद अजहर शम्सी (नायब क़ाज़ी) ने कहा कि रसूल-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया है कि ए लोगों! याद रखो, मेरे बाद कोई रसूल नहीं और तुम्हारे बाद कोई उम्मत नहीं। अत: अल्लाह की इबादत करना। प्रतिदिन पांचों वक़्त की नमाज़ पढ़ना। रमज़ान के रोज़े रखना, खुशी-खुशी अपने माल की ज़कात देना। हज करना और अपने हाकिमों का आज्ञा पालन करना। ऐसा करोगे तो अल्लाह की जन्नत में दाख़िल होगे। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई।

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