Header Ads

ad728
  • Breaking News

    पैग़ंबर-ए-आज़म तौहीद, सहिष्णुता, सौहार्द व इंसानियत के मसीहा : उलमा-ए-किराम

    पैग़ंबर-ए-आज़म तौहीद, सहिष्णुता, सौहार्द व इंसानियत के मसीहा : उलमा-ए-किराम

    -तकिया कवलदह में दीनी जलसा
    गोरखपुर। तकिया कवलदह में दीनी जलसा आयोजित हुआ। संचालन हाफ़िज़ आफताब ने किया। शुरुआत तिलावत-ए- क़ुरआन से हुई। नात व मनकबत पेश की गई।

    अध्यक्षता करते हुए मौलाना जहांगीर अहमद अज़ीज़ी ने कहा कि हमारे समाज में उसी वक्त अमन हो सकता है, जब हम अच्छे और नेक बनेंगे। हर शख़्स खुद को सुधार ले तो समाज ख़ुद ही अच्छा हो जाएगा। समाज को मजबूत करने के लिए आपस में भाईचारा व मोहब्बत कायम करना होगा। पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तौहीद, धार्मिक सहिष्णुता के प्रतीक, सौहार्द के संदेशवाहक और इंसानियत के मसीहा थे। आप तौहीद, इंसानियत के तरफदार और परस्पर प्यार के पैरोकार थे, इसलिए आपने मोहब्बत का पैग़ाम दिया। 

    मुख्य अतिथि मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी (नायब क़ाज़ी) ने कहा कि मोहब्बत का दूसरा नाम पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हैं। आप रहमतुल्लिल आलमीन (समस्त दुनिया के लिए कृपा के रूप में) हैं। आपका पवित्र चरित्र गुण दरअसल सहिष्णुता की सरिता है जिसमें सौहार्द का सतत प्रवाह है। आपका व्यक्तित्व सत्य और सद्भावना का संस्कार है तो कृतित्व इस संस्कार के व्यवहार की विमलता का विस्तार। आप चूंकि तौहीद व धार्मिक सहिष्णुता के पक्षधर थे, लिहाजा किसी भी किस्म के फसाद को, जो सामाजिक सौहार्द के ताने-बाने को छिन्न-भिन्न कर देता है, नापसंद फरमाते थे। आप शांति और चैन के हिमायती थे और मानते थे कि समाज की खुशहाली की इमारत बंधुत्व की बुनियाद पर ही निर्मित हो सकती है। क़ुरआन-ए-पाक में अल्लाह का फरमान है कि अल्लाह फसाद करने वालों से मोहब्बत नहीं करता। अल्लाह एहसान करने वालों यानी सौहार्द बढ़ाने वालों से मोहब्बत करता है।

    विशिष्ट अतिथि कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने कहा कि मां-बाप को कभी नाखुश न करें इसलिए कि उनके कदमों के नीचे जन्नत है। मां-बाप की खिदमत करने से अल्लाह की मदद आती है। मां-बाप की खिदमत करने से दीन व दुनिया दोनों में इज़्ज़त मिलती है।  जिसने मां-बाप को राजी कर लिया उसने अल्लाह को राजी कर लिया। उस्ताद का अदब मां-बाप से ज्यादा हक़ रखता है जो लोग इनका अदब नहीं करते वह बहुत बदबख्त हैं। मस्जिद व मदरसों को आबाद करें। 

    अंत में सलातो-सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो तरक्की की दुआ मांगी गई। जलसे में हाफ़िज़ आरिफ, अब्दुर्रहमान, अनवार रज़ा अत्तारी, उबैद जिलानी, अरमान हुसैन, मो. ज़फ़र अत्तारी, मो. आज़ाद, सफ़र हुसैन आदि मौजूद रहे।

    कोई टिप्पणी नहीं

    thanks for comment...

    Post Top Ad

    ad728

    Post Bottom Ad

    ad728
    ad728