निजी स्कूलों को मात दे रहा परिषदीय विद्यालय फटकदौना
अमूमन सरकारी विद्यालयो को लेकर जनमानस मे एक धारणा बनी रहती है कि यहाँ तकनीकी रूप से संपन्नता तो दूर मूलभूत सुविधाओं के भी लाले होते है। लेकिन कुशीनगर जिले के खड्डा विकास खंड अंतर्गत प्राथमिक विद्यालय फटकदौना की प्रभारी प्रधानाध्यापिका जया सिंह ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया।जो कंप्यूटर साइंस मे परास्नातक है,
अपनी लगन और सृजनातमक शिक्षण के लिए जिलाधिकारी द्वारा "उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान " से सम्मानित भी की गयी है। आज शिक्षण कार्य मे प्रोजेक्टर की प्रयोग की बात हो या कीबोर्ड की केय पर नौनिहालो की दौङती उंगलियाँ इनके सच्ची लगन और कुशलता की गवाही दे रही है। जया सिंह बताती है प्रारंभ मे जब वो विद्यालय मे बच्चों को हर विषय रटते हुए देखती थी तो उनको बहुत निराशा होती थी। उनको बार बार ऐसा लगता था की अगर हम " दृश्य श्रव्य" तकनीकी का प्रयोग करे तो शायद इस समस्या का
समाधान कर सकते है । लेकिन इसमे सबसे बड़ी समस्या थी फंड की।फिर भी इन्होंने विभाग का इंतज़ार न करके अपने पारितोषिक से ही प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, साउंड इत्यादि की व्यवस्था की। आज विद्यालय ब्लॉक का पहला स्मार्ट स्कूल रूप मे ख्यातिलब्ध है।यहाँ दो सहायक अध्यापक एवं तीन शिक्षामित्र भी कार्यरत है। स्कूल मे 150 बच्चे नामांकित हैं।
अपनी लगन और सृजनातमक शिक्षण के लिए जिलाधिकारी द्वारा "उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान " से सम्मानित भी की गयी है। आज शिक्षण कार्य मे प्रोजेक्टर की प्रयोग की बात हो या कीबोर्ड की केय पर नौनिहालो की दौङती उंगलियाँ इनके सच्ची लगन और कुशलता की गवाही दे रही है। जया सिंह बताती है प्रारंभ मे जब वो विद्यालय मे बच्चों को हर विषय रटते हुए देखती थी तो उनको बहुत निराशा होती थी। उनको बार बार ऐसा लगता था की अगर हम " दृश्य श्रव्य" तकनीकी का प्रयोग करे तो शायद इस समस्या का
समाधान कर सकते है । लेकिन इसमे सबसे बड़ी समस्या थी फंड की।फिर भी इन्होंने विभाग का इंतज़ार न करके अपने पारितोषिक से ही प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, साउंड इत्यादि की व्यवस्था की। आज विद्यालय ब्लॉक का पहला स्मार्ट स्कूल रूप मे ख्यातिलब्ध है।यहाँ दो सहायक अध्यापक एवं तीन शिक्षामित्र भी कार्यरत है। स्कूल मे 150 बच्चे नामांकित हैं।
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