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    किसानों के लिये सरकारी योजनाओं का शोर, किसान फिर भी कमजोर

    किसानों के लिये सरकारी योजनाओं का शोर, किसान फिर भी कमजोर

    उत्तरप्रदेश।हरदोई_कहने को तो भारत कृषि, प्रधान देश है। और कृषि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ की हडडी कही गयी है।किन्तु आजादी के बाद से कृषि, के उन्नयन मे उत्पादकता की दृष्टि से विज्ञान का आधार लेकर कृषि,उपज मे उत्तरोत्तर वृद्धि हुई इसमे कोई दो राय नही है किन्तु कृषि, सँसाधनो एवँ उपज के उचित रखरखाव की ओर सरकारोँ द्वारा विशेष ध्यान नही दिया गया।इसी का परिणाम है, कि पर्याप्त कृषि,योग्य भूमि होने के बाबजूद किसान गरीबी की त्रासदी से उबर नही पा रहा है।सिचाई के सँसाधनो को आकडोँ के माध्यम से देखा जाय तो पर्याप्त मात्रा मे है, किन्तु परिस्थितयाँ वास्तविकता से कोसोँ दूर खडी है।वर्षो से 60 से 70 प्रतिशत बन्द नलकूप एवँ सूखी पटी पड़ी नहरे इस बात का सबूत है कि सिचाई सँसाधनो पर करोड़ों रूपया फूँकने वाली सरकार की व्यवस्था मे कितनी खामियाँ है।वहीँ खाद बीज के नाम पर प्रशासनिक अधिकारियो की लम्बी फौज की दृष्टि के मध्य नकली खाद बीज एवँ कालाबाजारी के बीच पिसता अन्न दाता बमुश्किल तमाम अपनी हांड़ तोड़ मेहनत से पैदा की गयी उपज के बाजिव मूल्य के लिये भिखारियो की भातिँ कृषि,क्षेत्र से जुडे अधिकारियो कर्मचारियोँ व धन्नासेठों की दुत्कार व लानत मलानत करने पर मजबूर हो रहा है।भारत मे अन्नदाता की जो दुर्दशा है।जिसमे विशेष कर उत्तर प्रदेश अपना कोई स्थान ही नही रखता शायद ही विश्व के नक्शे मे पाये जाने किसी भी देश मे हो।किसानो की दुर्दशा कमोवेश पूरे भारत मे हो रही है।लेकिन यहाँ उत्तर प्रदेश के एक कृषि,प्रधानता वाले क्षेत्र जनपद हरदोई की कृषि, व्यवस्था की एक झलक प्रस्तुत करते हुये भारतीय किसान मजदूर यूनियन दशहरी के जिलाध्यक्ष पुनीत मिश्रा ने बताया कि लखनऊ और दिल्ली के मध्य मुख्य रेलमार्ग पर बसा यह जनपद 42 लाख हेक्टेयर कृषि,योग्य भूमि का मालिक है दोमट व बलुअर भूमि की उपलब्धता के कारण इस जनपद मे गेहूँ धान गन्ना व दलहन की उपज पर्याप्त मात्रा मे होती है। जनपद मे लगभग 43 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल गेहूँ के लिये सर्वोपरि है।लेकिन प्रशासनिक उदासीनता के चलते हरदोई जनपद का अन्नदाता आज भी गरीबी की त्रासदी से उबर नही पा रहा है।सरकार द्वारा किसानों के लिये योजनाओं का ढिंढोरा जमकर पीटा जा रहा है लेकिन एक भी योजना धरातल पर दिखाई नही दे रही है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का ढोल बजाया जा रहा है। लेकिन इसका लाभ शायद ही किसी किसान को मिला हो। किसान यूनियन के राष्ट्रीय आन्दोलन मे गन्ना को लेकर बडा शोर हुआ लेकिन खरीद व भुगतान का असर जमीन पर नही दिखाई दे रहा है।किसान नेता ने जनपद के किसानों का आवाहन करते हुये कहा कि बिजली के कारण किसानों की फसलों मे आग लगने की घटनाएं आम बात है ऐसे मे पकी फसल बचाने के लिये बिजली कर्मचारियों से सम्पर्क कर लाइन सही करा ले यदि कहीं पर असुविधा महसूस हो मुझे अवगत करायें यूनियन किसानों के हितो के लिये चौबीसों घन्टे तत्पर है।किसान नेता ने किसानों को ढाढस बधाते हुये कहा कि यूनियन किसानों की खुशहाली लाने तक संघर्ष करती रहेगी।यही हमारे जीवन का एक मात्र उद्देश्य है। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए अगर आने वाले समय में इस भ्रष्ट सरकारी एवं राजनीतिक तंत्र का हिस्सा भी बनना पड़े तो मैं गुरेज नहीं करूंगा।

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