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    श्रीमद् भागवत कथा अमृत रस पान करने से कटते हैं सारे पाप-पंडित सौरभ कृष्ण शास्त्री



    सहजनवा गोरखपुर बांसगांव संदेश ।मृत्यु को जानने से मृत्यु का भय मन से मिट जाता है।जिस प्रकार परीक्षित ने भागवत कथा श्रवण कर अभय को प्राप्त किया,वैसे ही भागवत जीव को अभय बना देती है। उपरोक्त बातें पंडित सौरभ कृष्ण शास्त्री ने कही,वे रविवार को भीटी खोरिया में श्रीमद्भागवत कथा के पहले दिन उपस्थित लोगों को कथा का रसपान करा रहे थे।उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत परमात्मा का अक्षर स्वरूप है। यह परमहंसों की संहिता है,भागवत कथा हृदय को जागृत कर मुक्ति का मार्ग दिखाता है।भागवत कथा भगवान के प्रति अनुराग उतपन्न करती है।यह ग्रंथ वेद उपनिषद का सार रूपी फल है।यह कथा रूपी अमृत देवताओं को भी दुर्लभ है।भागवत कथा को लेकर युगों युगों से मान्यता है कि जन्म जन्म तान्तर,युग युगांतर में जब पुण्य का उदय होता है,तब ऐसा अनुष्ठान शुरू होता है।यह कथा एक अमर कथा है,इसे सुनने से पापी भी पाप मुक्त हो जाता है।इसलिए भागवत कथा वेदों का सार है।उन्होंने श्रीमद्भागवत महापुराण का बखान करते हुए कहा कि सबसे पहले सुखदेव मुनि ने राजा परीक्षित को भागवत कथा सुनाया था,उन्हें सात दिन के अंदर तक्षक के दंश से मृत्यु होने का श्राप मिला था।कथा सुनने से सभी बुराइयों का नाश होता है।इस मौके पर यजमान तेजनारायण पाण्डेय,राहुल पाण्डेय,दिग्विजय पाण्डेय,शिवप्रसाद पाण्डेय,शिवनारायण पाण्डेय,गौकरन पाण्डेय,यमुनाधर राय,प्रदीप पाण्डेय मौजूद रहे।

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