गौरैया को बचाने के लिये छात्रों को दिलाया शपथ
गौरैया को बचाने के लिये छात्रों को दिलाया शपथ
बस्ती। विश्व गौरैया दिवस पर नानक नगर पचपेड़िया रोड स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्प्यूटर एजुकेशन के डायरेक्टर अंकित कुमार गुप्ता ने सभी छात्र-छात्राओं को आसान उपायों से ‘फिर घर में फुदक सकती है नन्ही गौरैया’ के लिए संकल्प दिलाया।
अंकित कुमार गुप्ता ने पक्षियों का महत्व और उनके संरक्षण की जानकारी विद्यार्थियों को दी। दुनियाभर में 20 मार्च गौरैया संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि हम बात करते हैं कि गौरैया बचाओ या फिर फलां पक्षी को बचाओ। यह जानना जरूरी है कि आखिर हम क्यों इन्हें बचाना चाहते हैं। गौरैया ईकोसिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। गौरैया इंसानों की दोस्त भी है। घरों के आसपास रहने की वजह से यह उन नुकसानदेह कीट-पतंगों को अपने बच्चों के भोजन के तौर पर इस्तेमाल करती थी, जिनका इस वक्त प्रकोप इंसानों पर भारी पड़ता है। कीड़े खाने की आदत से इसे किसान मित्र पक्षी भी कहा जाता है। अनाज के दाने, जमीन में बिखरे दाने भी यह खाती है। मजेदार बात यह कि खेतों में डाले गए बीजों को चुगकर यह खेती को नुकसान भी नहीं पहुंचाती। यह घरों से बाहर फेंके गए कूड़े-करकट में भी अपना आहार ढूंढती है।
बस्ती। विश्व गौरैया दिवस पर नानक नगर पचपेड़िया रोड स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कम्प्यूटर एजुकेशन के डायरेक्टर अंकित कुमार गुप्ता ने सभी छात्र-छात्राओं को आसान उपायों से ‘फिर घर में फुदक सकती है नन्ही गौरैया’ के लिए संकल्प दिलाया।
अंकित कुमार गुप्ता ने पक्षियों का महत्व और उनके संरक्षण की जानकारी विद्यार्थियों को दी। दुनियाभर में 20 मार्च गौरैया संरक्षण दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि हम बात करते हैं कि गौरैया बचाओ या फिर फलां पक्षी को बचाओ। यह जानना जरूरी है कि आखिर हम क्यों इन्हें बचाना चाहते हैं। गौरैया ईकोसिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। गौरैया इंसानों की दोस्त भी है। घरों के आसपास रहने की वजह से यह उन नुकसानदेह कीट-पतंगों को अपने बच्चों के भोजन के तौर पर इस्तेमाल करती थी, जिनका इस वक्त प्रकोप इंसानों पर भारी पड़ता है। कीड़े खाने की आदत से इसे किसान मित्र पक्षी भी कहा जाता है। अनाज के दाने, जमीन में बिखरे दाने भी यह खाती है। मजेदार बात यह कि खेतों में डाले गए बीजों को चुगकर यह खेती को नुकसान भी नहीं पहुंचाती। यह घरों से बाहर फेंके गए कूड़े-करकट में भी अपना आहार ढूंढती है।
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