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    गीडा कम्पनियों के जहरीले पानी से आमी नदी की मछलियाँ मरी



    कम्पनियों से निकले जहरीले पानी से जीव, जन्तुओं सहित मनुष्यों को खतरा 


    कौडीराम गोरखपुर। बांसगांव सन्देश। आमी नदी आज गीडा के फैक्ट्रियों और कम्पनियों से निकलने वाले कचरा और गन्दा पानी का शिकार होकर अपने बदहाली का रोना रो रही है। आमी नदी में कचरा व गन्दा पानी गिरने के कारण आज जलीय जीव जन्तु का जीवन संकट में है एवं जीव जन्तु मर जा रहे हैं। आलम यह है कि जल की रानी कहे जाने वाली मछली दूषित जल के कारण मर कर नदी के उपर उतरा रही है। नदी से मछली पकड़कर अपना भरण पोषण करने वाले मछुआरे आज काफी हताश और परेशान होकर नदी साफ़ होने को लेकर अधिकारियों और नेताओं से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनका कोई अधिकारी और जन प्रतिनिधि सहित आमी बचाओ आंदोलन से जुड़े नेता भी सुनने वाले नहीं है। आमी नदी के किनारे बसे लगभग जितने भी गांव हैं। सब नदी में काला दूषित पानी आने से परेशान और हताश दिख रहे हैं।
    आमी नदी के किनारे मछुआरों से जब बात की गई तो उन्होंने बताया की पिछले तीन चार दिनों से गीडा के मिलों और कम्पनियों से यह जहरीला दूषित पानी छोड़ा गया है। जिसके कारण नदी का पुरा पानी काला हो गया है। नदी के आस पास रहने वाले छुट्टा पशुओं और पालतू जानवर जो अपनी प्यास इसी नदी से बुझाते हैं उनके भी सामने समस्या उत्पन्न हो गई है। आज हालत यह की नदी से केवल मरी हुई मछलियों का गंध आ रहा है, जिससे तमाम प्रकार के रोग फैलने का डर है।
      इसके ज़िम्मेदार अधिकारियों के साथ साथ सांसद, विधायक और लोकल जन प्रतिनिधि एवं आमी नदी को बचाने वाले अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। वह अपनी कुर्सी तोड़ अपने ऑफिस में आराम फरमा रहे हैं। उनको नदी और जनता का दर्द नही दिखाई दे रहा है।
    अब सवाल यह है क्या ऐसे ही सिमट कर रह जायेगी यह आम की तरह मीठा पानी कहे जानें वाली आमी नदी या होगा इसका साफ़ सफाई का निदान, यह देखने योग्य होगा। दसकों से आमी नदी के नाम पर राजनीति करने वाले नेता माला माल हो गए। उनका कद प्रदेश स्तर पर पहुँच गया लेकिन आमी नदी का प्रदूषण ज्यों का त्यों  ही बना रहा।

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