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    मुसीबत में फंसे बच्चों की मदद, संरक्षण और पुनर्वास करती हैं चाइल्ड लाइन



    *मुसीबत में फंसे बच्चों की मदद, संरक्षण और पुनर्वास करती हैं चाइल्ड लाइन*
    गोरखपुर। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विभाग की ओर से रोल ऑफ़ स्टूडेंट्स इन चाइल्ड राइट्स प्रोटेक्शन एंड ओरिएंटेशन ऑफ़ चाइल्डलाइन वोलेंटियर विषयक कार्यशाला का आयोजन शनिवार को किया गया।  कार्यशाला के विषय विशेषज्ञ सत्यप्रकाश पाण्डेय, सिटी कोआर्डीनेटर, चाइल्डलाइन गोरखपुर का स्वागत कार्यक्रम की संयोजिका प्रोफेसर अनुभूति दुबे, विभागाध्यक्ष मनोविज्ञान विभाग ने किया। इस कार्यशाला के प्रथम सत्र में सत्यप्रकाश पाण्डेय जी ने बच्चों एवं उनसे जुड़े अधिकारों पर प्रकाश डाला एवं बताया कि चाइल्डलाइन किस प्रकार से बच्चों को सेवा प्रदान करती है। हमें चाइल्डलाइन के बारे में जागरूकता फ़ैलाने की जरूरत है ताकि संस्थाओं और अन्य प्रणाली में ऐसी व्यवस्था की जा सके जिससे बच्चों के पुनर्वास, देखभाल और संरक्षण प्रदान किया जा सके और सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं का ऐसा परिवार बनाया जाय जो उसके नीतियों के अनुसार काम करते हुए बच्चों के लिए राष्ट्रीय दृष्टि से नीतियाँ बना सके । उन्होंने यह भी बताया कि किस प्रकार चाइल्डलाइन बच्चों को जरूरत के समय सहायता देना, जिन सेवाओं आवश्यक से बच्चें वंचित हैं। उन्हें बच्चों तक पहुँचाने की कोशिश करता है । आगे इन्होने यह भी बताया कि चाइल्डलाइन आपातकालीन, 24 घंटे की निःशुल्क राष्ट्रीय फोन सेवा है। जो मुसीबत में फंसे 18 वर्ष से कम उम्र के जरूरतमंद बच्चों की मदद, देख.भाल, संरक्षण और उन्हें पुनर्वास की सुविधा प्रदान करती है। वर्तमान में यह कार्यक्रम महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत सरकार द्वारा पुरे भारत में 302 शहरों में संचालित है। गोरखपुर शहर के किसी भी प्रान्त से मुसीबत में पड़ने वाले बच्चे 1098 डायल करके चाइल्डलाइन की सुविधाएँ प्राप्त कर सकते हैं। दुसरे सत्र में, उन्होंने बच्चों की सुरक्षा एवं उनके अधिकारों से सम्बंधित संविधान के कुछ अनुच्छेदों पर भी प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त इन्होने राष्ट्रीय स्तरए राज्य स्तर, जिला स्तर तथा ब्लॉक स्तर पर बच्चों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए जो समितियां कार्य करती है उनपर प्रकाश डाला। इसके अतिरिक्त उन्होंने बाल विवाह, बाल मजदूरी एवं बाल शिक्षा को लेकर उनके लिए कुछ क़ानूनी प्रावधानों से भी अवगत कराया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे हम इनके मनोवैज्ञानिक पक्षों को समझ कर इन समस्याओं का समाधान कर सकते हैं। इस कार्यशाला के माध्यम से इन्होने मनोविज्ञान विभाग के स्नातकोत्तर द्वितीय एवं चतुर्थ सेमेस्टर के बच्चों को यह भी बताया कि किस प्रकार से वह वोलेंटियर  व इंटर्नशिप प्रोग्राम के माध्यम से चाइल्डलाइन से जुड़कर बच्चों के हित के लिए कार्य कर सकतें हैं। अंत में उन्होंने बच्चों से अंतःक्रिया करते हुए बच्चों से जुड़े समस्याओं पर चर्चा की और उनके सवालों का जवाब दिया। प्रो धनन्जय कुमार जी ने सत्यप्रकाश पाण्डेय जी को धन्यवाद ज्ञापित किया एवं इसके पश्चात एक दिवसीय कार्यशाला का समापन राष्ट्रगान के साथ किया गया।

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