हाथ पैर में कम्पन तथा संतुलन में कमी पार्किन्सन की शुरुआत हो सकती है। डॉ माहेश्वर प्रसाद
ये बातें बतौर मुख्य वक्ता डॉक्टर माहेश्वर प्रसाद, मुख्य सिविल सर्जन, सिविल हॉस्पिटल, झारखंड ने विश्व पार्किंसन दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम ई-परामर्श श्रृंखला 178 के अंतर्गत कही। डॉ माहेश्वर प्रसाद सीआरसी द्वारा आयोजित जन जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। पार्किंसन बीमारी की पहचान बताते हुए डॉ माहेश्वर प्रसाद ने कहा कि प्रारंभिक लक्षणों के अंतर्गत व्यक्ति के हाथ पैर में कंपन, शारीरिक संतुलन में कमी चलने की समस्या, कभी-कभी मानसिक एवं भाषा संबंधी समस्या के रूप में दिखाई पड़ता है। यह नाड़ी संबंधित विकार भी है। जिसे पहचान करके फिजियोथैरेपी, ऑक्यूपेशनल थेरेपी स्पीच थेरेपी द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। कार्यक्रम के अन्य वक्ता श्री दीपक सी वनसोड पुनर्वास मनोचिकित्सक सिविल हॉस्पिटल, पंचकूला, हरियाणा ने अपनी बात कहते हुए कहा कि पार्किंसन रोग में व्यक्ति कभी-कभी मानसिक समस्या का भी सामना करता है जिसको परामर्श द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है। यह कार्यक्रम राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान के निदेशक डॉ हिमांग्शु दास के निर्देशन में संपन्न हुआ। सीआरसी गोरखपुर के रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर श्री रवि कुमार ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि पार्किंसन बीमारी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सीआरसी गोरखपुर द्वारा सीआरसी द्वारा यह कार्यक्रम आयोजित किया गया है। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम समन्वयक श्री अमित कुमार कच्छप,प्रवक्ता व्यावसायिक चिकित्सा विभाग सीआरसी, गोरखपुर ने किया। प्रश्नोत्तर एवं धन्यवाद ज्ञापन श्री रॉबिन ने किया। इस कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से बड़ी संख्या में लोगों ने प्रतिभाग किया।
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