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    पहली बार मारवाड़ी बोली में अनूदित हुई दुर्गा सप्तशती


    पहली बार मारवाड़ी बोली में अनूदित हुई दुर्गा सप्तशती
    दो बार लगातार हिन्दी साहित्य संस्थान उत्तर प्रदेश से सम्मानित डॉ अनिता अग्रवाल ने किया अनुवाद
    डॉ  का सनातन धर्म और आस्था के साथ अपनी बोली एवं संस्कृति के प्रसार पर जोर
    अनुकरणीय
    गोरखपुर। श्रीभुवनेश्वरी संहिता में कहा गया है कि जिस प्रकार ‘वेद ’ अनादि है, उसी प्रकार दुर्गा सप्तशती भी ‘अनादि’ है। जिस प्रकार योग का सर्वोत्तम ग्रंथ ‘श्रीमदभागवत गीता’ है, उसी प्रकार ‘दुर्गा सप्तशती’ शक्ति उपासना का सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ है। इस सर्वश्रेष्ठ ग्रंथ को पहली बार ‘संस्कृति पर्व ’ ने चैत्र नवरात्र में पहली बार मारवाड़ी बोली में प्रकाशित किया है। इसे साहित्यकार डॉ अनिता अग्रवाल ने अनूदित किया है। डॉ अनिता द्वारा अनूदित एवं प्रकाशित इससे पूर्व श्रीराम चरित मानस के ‘सुंदरकांड’ को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी सराह चुके हैं। 
    डॉ अनिता कहती है कि दुर्गा सप्तशती को मारवाड़ी बोली (भाषा) में अनूदित करने के पीछे सनातन श्रद्धा के साथ अपनी भाषा-बोली की सेवा करना बड़ा उद्देश्य था। इसके पूर्व ‘सुंदरकांड’ को काफी सराहना मिली थी। ऐसे में मन में भाव था कि साल में दो बार नवरात्र और दो बार गुप्त नवरात्र आती है। इस अवधि में प्रत्येक सनातनी आस्थावान मॉ भगवती की अराधना करता है। मूल संस्कृत के अलावा हिंदी और मराठी में दुर्गा सप्तशती उपलब्ध है लेकिन मारवाड़ी में नहीं। यह माता की कृपा और इच्छा ही रही कि मै इसे न केवल मारवाड़ी में अनूदित कर पाई बल्कि नवरात्र में प्रकाशित भी हो गई। डॉ अनिता ने अपनी इस पुस्तक को मॉं बेरीवाली भीमेश्वरी देवी के चरणों और अपने माता-पिता एवं धर्मपिता एवं माता के श्रीचरणों में समर्पित किया है। डॉ अनिता कहती हैं कि दुर्गा सप्तशती के 700 श्लोकों को तीन भागों प्रथम चरित्र महाकाली, मध्यम चरित्र महालक्ष्मी और उत्तम चरित्र महा सरस्वती में विभाजित किया गया है। प्रत्येश चरित्र में सात-सात देवियों का उल्लेख मिलता है। प्रथम चरित्र में काली, तारा, छिन्नमस्ता, सुमुखी, भुवनेश्वरी, बाला, कुब्जा, द्वितीय चरित्र में लक्ष्मी, ललिता, काली, दुर्गा, गायत्री, अरुन्धति, सरस्वती और तृतीय चरित्र में ब्राह्मी, माहेश्वरी, कौमारी, वैष्णवी, वाराही, नारसिंही और चामुंडा देवी का चरित्र मिलता है। मारवाड़ी भाषा में इन सब को प्रस्तुत कर मेरी कोशिश है कि मारवाड़ी बोली-भाषा के साथ सनातम धर्म प्रसार प्रचार भी हो। हमारी युवा पीढ़ी भी इनसे जुड़े और हमारी वैभवशाली आध्यात्मिक समृद्धि एवं संस्कृति को समृद्ध करें। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान से लगातार दो बार सम्मानित डॉ अनिता अग्रवाल स्थाई लोक अदालत में सदस्य जज हैं एवं वन, पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली प्रतिष्ठित संस्था हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका हैं।

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