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    अल्लाह के जिक्र-शुक्र में गुजर रहा रमज़ान का हर पल

    अल्लाह के जिक्र-शुक्र में गुजर रहा रमज़ान का हर पल
    गोरखपुर। मुकद्दस रमज़ान का हर एक पल अल्लाह के जिक्र व शुक्र में गुजर रहा है। रोज़ा रखकर अल्लाह की इबादत की जा रही है। करीब 14 घंटा 24 मिनट का 14वां रोज़ा बरकत के साथ बीता। शनिवार को तरावीह नमाज़ के दौरान शहर की एक दर्जन से अधिक मस्जिदों में एक क़ुरआन-ए-पाक मुकम्मल हो गया। सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाज़ार में हाफ़िज़ रहमत अली निज़ामी, मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक में हाफ़िज़ औरंगजेब, कलशे वाली मस्जिद मिर्जापुर में हाफ़िज़ सद्दाम हुसैन, नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में कारी सफीउल्लाह, मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर में हाफ़िज़ अब्दुल अज़ीज़, कादरिया मस्जिद नखास में हाफ़िज़ मो. मोईनुद्दीन निजामी, बेलाल मस्जिद इमामबाड़ा अलहदादपुर में कारी शराफ़त हुसैन क़ादरी, नूरी जामा मस्जिद अहमदनगर चक्शा हुसैन में कारी वहाजुद्दीन, मस्जिद शैख़ झाऊं साहबगंज में कारी नसीमुल्लाह, मस्जिद मियां साहब नंदानगर में हाफ़िज़ वहीदुज्जमा आदि ने तरावीह नमाज़ के दौरान क़ुरआन शरीफ़ मुकम्मल किया। नूर मोहम्मद दानिश, निजामुद्दीन, जुनैद ख़ान, अशहर खान ने दस उलमा-ए-किराम को 'रमज़ान गिफ्ट' सौंपा। वहीं तंजीम कारवाने अहले सुन्नत ने शहर के विभिन्न मोहल्लों में क़ुरआन-ए-पाक का उर्दू, हिंदी, अंग्रेजी तर्जुमा 'कंजुल ईमान' बांटा।
    शहर की मस्जिदों में रमज़ान के विशेष दर्स के तहत रोज़ा, नमाज़, जकात, फित्रा सहित अन्य मसलों पर रोशनी डाली गई। 

    रमज़ान में ग़रीबों की करें मदद : मुफ्ती मेराज अहमद

    मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक के इमाम मुफ्ती मेराज अहमद क़ादरी ने बताया कि क़ुरआन में सिर्फ रमज़ान शरीफ़ ही का नाम लिया गया और इसी के फजाइल बयान हुए हैं। रमज़ान में पांच इबादत खुसूसी होती है रोज़ा, तरावीह, तिलावत-ए-क़ुरआन, एतिकाफ और शबे कद्र में जागकर इबादत करना। तो जो कोई सच्चे दिल से ये पांच इबादत करे वह अल्लाह का ईनाम पाने का हकदार हो जाता है। रमज़ानुल मुबारक के स्वागत के लिए सारे साल जन्नत को सजाया जाता है। कुछ उलमा फरमाते हैं कि जो रमज़ान में मर जाए उससे सवालाते कब्र भी नहीं होता। रमज़ान में शैतान कैद कर दिया जाता है और दोजख के दरवाजे बंद हो जाते है। जन्नत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं। इसी लिए रमज़ान के दिनों में नेकियों की अधिकता और गुनाहों की कमी होती है। रमज़ान में खाने पीने का हिसाब नहीं है। हमें चाहिए कि हम रमज़ान में नेक काम करें और गुनाहों से बचें। ग़रीबों, मोहताजों की मदद करें।
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