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    दो दिवसीय स्वास्थ्य जागरूकता कार्यशाला का उद्घाटन


    दो दिवसीय स्वास्थ्य जागरूकता कार्यशाला का उद्घाटन
     
         राष्ट्रीय सेवा योजना, सेंट एंड्रयूज कॉलेज, गोरखपुर तथा सिफसा के संयुक्त तत्वाधान में संचालित यूथ फ्रेंडली सेंटर द्वारा दो दिवसीय स्वास्थ्य जागरूकता कार्यशाला का उद्घाटन आज एनसीसी के ए0एन0ओ0 लेफ्टिनेंट डॉ0 अमित मसीह के द्वारा किया गया। डॉ0 मसीह ने कहा कि किशोरावस्था में शारीरिक तथा मानसिक परिवर्तन होते हैं अतः पारिवारिक जीवन शिक्षा आवश्यक है। मुझे आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि कार्यशाला छात्रों के स्व-निर्णय लेने व अपने जीवन में स्वस्थ व्यवहार अपनाने और परिस्थितियों का व्यावहारिक हल ढूंढने में मददगार साबित होगी। किशोर किशोरियों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य में सकारात्मक परिवर्तन आएगा और भविष्य में राष्ट्र की प्रगति में यह वर्ग महत्वपूर्ण भूमिका प्रदान कर सकेगा। मुख्य प्रशिक्षक के रूप में सिफसा के नोडल प्रोजेक्ट अधिकारी एवं राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी डॉ0 जे0 के0 पांडेय ने कहा कि जीवन के प्रति सही दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एनएसएस छात्रों को प्रशिक्षित करने हेतु यह कार्यशाला आयोजित की गई है। इसके माध्यम से छात्रों को सही जानकारी दी जाएगी तथा ताकि उनमें गलत व सही के बीच में अंतर पहचान कर सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित हो तथा वे समाज में व्याप्त कुप्रथाओं जैसे शोषण, लिंगभेद, हिंसा एवं कम उम्र में विवाह आदि का सार्थक विरोध कर सकें। मुख्य ट्रेनर के रूप में भूतपूर्व कार्यक्रम अधिकारी डॉ0 (श्रीमती) सुनीता पॉटर ने भारत में किशोरावस्था एवं व्यवस्था में मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के बारे में बताते हुए कहा कि विश्व स्वास्थ संगठन के अनुसार कम से कम 20 प्रतिशत युवा मानसिक बीमारी जैसे अवसाद, मनोदशा में असंतुलन ,पदार्थों के दुरुपयोग, आत्मघाती व्यवहार तथा विकार युक्त आहार आदि से जूझ रहे हैं । कार्यक्रम अधिकारी एवं प्रशिक्षक डॉ0 (श्रीमती) अर्चना श्रीवास्तव ने पोषण एवं स्वास्थ्य विषय पर बोलते हुए कहा कि किशोरावस्था में तीव्र गति से विकास होने के कारण अधिक ऊर्जा और पौष्टिक तत्वों की आवश्यकता होती है। यदि किशोर किशोरी पर्याप्त मात्रा में संतुलित आहार नहीं खाते हैं तो उनका संपूर्ण विकास नहीं होता है या देर से होता है। वह कुपोषित भी हो सकते हैं जिसका बुरा प्रभाव उन्हें अपने वयस्क जीवन में भी झेलना पड़ता है। कार्यशाला में एनीमिया, लड़के लड़की में भेदभाव नशीले पदार्थों से होने वाले नुकसान किशोरावस्था ,माहवारी और स्वास्थ्य, सहज ढंग से अपनी बात रखना ,स्वेच्छा से माता-पिता बनना ना की संयोग से, पीसीपीएनडीटी एक्ट ,एमटीपी एक्ट 1971 एवं सुरक्षित गर्भपात आदि विषयों पर प्रकाश डाला गया । इस अवसर पर प्रशिक्षक के रूप से डॉ0 पूजा आनंद सहित अंशिता, सलोनी मोदी, रिया, तनु आदि कुल 50 प्रतिभागियों की उपस्थिति रही।
     

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