गगहा गोरखपुर बांसगांव संदेश आखिरकार बीमार झीनक ने दम तोड़ दिया
गगहा गोरखपुर बांसगांव संदेश। आखिरकार बीमार झीनक ने दम तोड़ दिया
वर्षों पहले तीनों बच्चों के सिर से मां पिता का साया उठा
न तो साहब की नजर पड़ी और न तो माननीय की
गगहा गोरखपुर बांसगांव संदेश ।हे भगवान किस जन्म की सजा इन मासूम बच्चों को दें रहे हैं थोडा तो इन पर रहम करिए जिससे इनकी जिंदगी सुचारू रूप से चल सके यह फरियाद उधर से गुजरने वाले राहगीर ईश्वर से कर रहे हैं.यह कोई काल्पनिक घटना नहीं बल्कि गगहा के रावतपार के बेलदार मार्ग के किनारे सुशील यादव के मकान में छोटे से कमरे में रह रहे तीन बच्चों की कहानी है जिसके माता पिता की कुछ साल पहले मौत हो चुकी है।तबसे इन बच्चों पर न तो गांव के माननीय प्रधान जी व न तो साहब की नजर पड़ी.
ग्रामीणों ने बताया कि सिकरीगंज के बड़गो बंसवारी गांव के राजकुमार अपनी पत्नी व बच्चों के साथ गगहा के रावतपार में रहकर मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करते थे।सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था।अचानक एक दिन पत्नी की मौत हो गई.जिससे बाद राजकुमार अपने तीनों बच्चों बारह वर्षीय छिनक,सात वर्षीय करन, पांच वर्षीय अजय की जिम्मेदारी आ गई।जिसे वह जिम्मेदारी से निभा रहा था।अचानक एक दिन राजकुमार भी परलोक सिधार गए जिससे बच्चे अनाथ हो गए ।तीनो अनाथ बच्चे की परवरिश कैसे हो यह विकट समस्या थी.ऐसे में इन बच्चों पर सुशील यादव की नजर पड़ी उन्होंने बच्चों को एक कमरा दे दिया।बडा बच्चा झिनक अपने दोनों छोटे भाई की परवरिश करने के लिए कबाड़ बिनकर उनका पेट भरता था, कभी कभी कोई आमदनी नहीं होने पर भूखे पेट सोना पड़ता था ।जब सुशील को बच्चों को भुखा होने की जानकारी होती थी तो वह घर से खाना लाकर बच्चों को खिला देते थे।जैसे तैसे बच्चे अपना दिन व्यतीत कर रहे थे.लेकिन उसपर भी किसी की जैसे नजर लग गई है तीनों में सबसे बड़ा बारह वर्षीय छिनक बिमार पड़ गया,अब उसकी दवा कौन करायेगा यह बड़ा प्रश्नचिन्ह खड़ा है ।करन व अजय अपने भाई की बीमारी से चिन्तित है।बच्चे अपने घर के बारे में कुछ भी नहीं बता पा रहे हैं ।अब इन बच्चों का परवरिश के साथ छिनक की दवा कैसे होगी ।
सरकारी तंत्र फेल
मुखिया के गृहजनपद पर तीन मासूम बच्चों के सर से कुछ साल पहले मां पिता का साया उठ गया लेकिन जिम्मेदारो की नजर इन मासूम बच्चों पर नहीं पड़ी जिन्हें न तो अपने घर का पता मालूम है ने तो कोई ठिकाना है।.शुक्र है सुशील यादव को जो बच्चों को रहने के लिए कमरा दिया लेकिन इन अनाथ बच्चों को कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मिला है जो सोचनीय विषय है।
वहीं समाजसेवी मनीष शाही ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गगहा के प्रभारी चिकित्साधिकारी डाक्टर बृजेश कुमार बरनवाल से बीमार बच्चों के बारे में बताया तो डाक्टर साहब ने मेडिकल टीम भेजकर बच्चों की जांच कर ईलाज कराया जायेगा है। समाजसेवी मनीष शाही ने पुनः बताया कि आखिर कार बीमार झीनक आज शाम दम तोड दिया । उसके बाद पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम। डॉक्टर बृजेश कुमार बरनवाल ने बताया कि मुझे आज शाम 4:00 बजे सूचना मिली थी।
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