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    विश्व व्यापार जगत में एस के शुक्ल ने अपनी सत्य निष्ठा ईमानदारी मेहनतके दम पर ख्याति अर्जित किया


    गोरखपुरविश्व व्यापर जगत में एस के शुक्ल ने अपनी सत्यनिष्ठा, ईमानदारी, मेहनत के दम पर ख्याति अर्जित किया। सहजनवा गोरखपुर बांसगांव सन्देश।शशिकांत शुक्ल का जन्म ०१ सितंबर १९६४ में देवरिया उत्तर प्रदेश में हुआ था. ये एक मध्य-वर्गीय ब्राह्मण परिवार से थे. इनके परिवार में माता,पिता और तीन भाई बहन हैं. इनके अंदर बचपन से ही नेतृत्व करने की अद्भुत क्षमता और देश सामाज के लिए कुछ बेहतर करने की ललक रोम रोम में बसा है। इनके पिताजी स्व० श्री कमलाकंत शुक्ल जी सम्पूर्णानन्द संस्कृति विश्वविद्यालय में आचार्य के पद पर कार्यरत थे और एक प्रशिद्ध ज्योतिषाचार्य भी थे, और इनको विश्विद्यालय द्वारा शास्त्र चूड़ामणि की उपाधि से भी विभूषित किया गया था, और इनके द्वारा कई संस्कृत के ग्रंथो की रचना की गयी थी और उन्हें सरल भाषा में बाजार में उपलब्ध भी कराया गया है ,और आज ये ग्रन्थ समाज को एक नया आइना दिखाने का कार्य कर रहे है। इनके द्वारा रचित प्रशिद्ध ग्रंथो के नाम :- वास्तु सौख्यंम , जैमिनी सूत्रम ,लघुपराशरी,वास्तुसार,संग्रह इत्यादि है। कमलाकांत जी को वर्ष २००२ में राष्ट्रपति पुरस्कार से नवाजा गया था, और २००३ में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल द्वारा भी पुरस्कार से अलंकृत किया गया था ,कुछ माह के उपरान्त इनको अखिल भारतीय विदत्तपरिषद् द्वारा महामहोपाध्याय शिवकुमार शास्त्री पुरस्कार ,व् उतर प्रदेश संस्कृत संस्थानम द्वारा विशिष्ट पुरस्कार से भी शुशोभित किया गया था। इनकी माता स्व० श्रीमती गिरिजा देवी के बहुत ही आध्यात्मिक महिला थी और अपने बच्चो में संस्कार और शिक्षा दीक्षा की जिम्मेदारी खुद उठाती थी। शशिकांत शुक्ल जी के जानने वाले बताते है की बचपन से ही इनके अदंर नैसर्गिक नेतृत्व क्षमता कूट कूट कर भरी थी और सीमित संशाधन होने के बावजूद भी इन्होने ने जीवन में कभी हार स्वीकार नहीं किया। स्कूली शिक्षा दीक्षा देवरिया के सरकारी स्कूल से पूरी करने के उपरान्त इन्होने स्नातक की शिक्षा हेतु दीनदयाल उपाध्याय विश्विद्यालय गोरखपुर का रूख किया कर यहाँ से उन्होंने अपना विज्ञान स्नातक की पढाई पूरी कर उच्च शिक्षा हेतु दूसरे प्रदेश में गए और वहां से मास्टर ऑफ़ बिजनेस की डिग्री प्राप्त किये। चुकी इनके अंदर कठोर परिश्रम करने की ललक थी और जीवन में कुछ कर दिखाने का सपना था। पढाई पूरी कर वापस आने के बाद इन्होने अपने ही शहर में अपना व्यवसाय का मन बनाया लेकिन पूजी के आभाव में व्यापार कर पाना बहुत असम्भव प्रतीत हुवा लेकिन इन्होने हार न मानते हुए सीमित संशाधनो से ही एक छोटा सा व्यापर शुरू किया। लेकिन कुछ माह व्यतीत होने के उपरान्त इन्हे आभास हुवा की इस व्यवसाय से ये सामाज और देश के लिए कुछ कर पाने में अपने को विवश पाते थे , इसी महत्वाकांक्षा ने इनके जीवन को पूरी तरह बदल कर रख दिया और इनके द्वारा प्राइवेट संस्थानों में सेवाएं देने का सिलसिला वर्ष १९९४ से शुरू हुवा और वर्ष २००४ तक कई संस्थाओं में अपना बहुमूल्य योगदान देने के उपरांत यह सिलसिला आईजीएल में आकर ठहर गया क्युकी इनके जीवन का जो परिकल्पना थी वहअब साकार लगने लगी थी की अब ये समाज और पूर्वांचल के विकास की धुरी में अपना अहम योगदान दे सकते है। आज शशिकांत शुक्ल आईजीएल कंपनी के व्यापार प्रमुख एवं उत्तर प्रदेश डिस्टलरी एसोसिएशन के अध्यक्ष है। इन्होने आईजीएल कंपनी को वर्ष २००४ में बतौर सहायक महाप्रबंधक के पद पर नियुक्त हुए थे लेकिन इनके नैसर्गिक क्षमता को देखते हुए कंपनी द्वारा समय समय पर इनको नयी नयी जिम्मेदारिया दी जाती रही है, जिनका निर्वहन इनके द्वारा कड़ी मेहनत, सच्ची लगन और पूरी निष्ठा से किया जाता रहा है और जितना कठिन लक्ष्य होता था उतनी ही घोर तपस्या होती थी और उस लक्ष्य को जब तक हासिल नहीं कर लेते है तब तक चैन से नहीं बैठते है। आईजीएल के चैयरमैन श्री उमाशंकर भरतिया ने इनकी अद्भुत विलक्षण प्रतिभा को देखते हुए २०१६ में इन्हे बतौर बिजनेस हेड की कमान सौपी, उस वक्त आईजीएल अपने पहचान के लिए संघर्ष कर रहा था ऐसे विषम परिस्थितियों में जब इन्होने ये कमान सभाली तो इन्होने बीते कुछ ही वर्षो में आईजीएल को प्रदेश की नंबर वन डिस्टलरी बनायीं अपितु पूर्वांचल गोरखपुर में विकास की गंगा बहाई। आज गोखपुर का बच्चा बच्चा इनके संघर्षो की गवाही देता है और इन्होने अपने चैयरमैन की उमीदो को पूरा करते हुए कोविद १९ की महामारी में प्रदेश सरकार को पांच आक्सीजन प्लांट भी देकर सरकार का मान बढ़ाया। आइये एसके शुक्ल से ही जानते की इनकी इस ऊर्जा और प्रेरणा का स्त्रोत क्या है : सकारात्मक और ऊंची सोच- सुबह जल्दी उठना- असफलता से सीखना- हमेशा खुशी और उत्साह से भरा होना- आत्मविश्वासी और दूसरों से सीखना- ध्यान और ईश्वर पर अटूट विश्वास इनके जीवन में हरिवंश राय की एक कविता सटीक बैठती है - तू न थकेगा कभी, तू न रुकेगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ, अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ।” आज आईजीएल अपने गुणवत्ता पूर्ण उत्पादों से बाजार में अपने प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ बहुत आगे निकल गया और एस के शुक्ल की इसी दूरदर्शिता का परिणाम है की आज आईजीएल पूर्वांचल की सबसे बड़ी आनाज आधारित आसवानी का निर्माण कार्य पूरा कर सभी को चौका दिया है , सामाज में इनके द्वारा किये गए कार्यो का पूरा पूर्वांचल व् प्रदेश की जनता स्वय उदाहरण देती है। पांच आक्सीजन प्लांट निर्मिति कर प्रदेश की जनता को समर्पित किया पूर्वांचल में तक़रीबन ४०० महिलाओं को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ी पहल सरकारी स्कूलों को गोद लेकर उनको हाई टेक् बनाकर सभी सुबिधाये उपलब्ध कराई गई। मोक्ष धाम का नवीनीकरण किया गया और वहां पर भगवान् शिव की प्रतिमा स्थापित कर उसे पर्यटक स्थल में तब्दील किया। अशफाक उल्ला खा पार्क में नलिनी बाघिनि को गोद लेकर पूरी देख रेख करना कोविद १९ में मुफ्त २ करोड़ से अधिक का सेनेटाइजर का वितरण करना प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत ६५ लाख से १५०० शौचालयों का निर्माण कराकर इतिहास रचना. कोविद १९ में जहा संस्थाए अपने कर्मचारियों की छटनी कर रही थी वही आईजीएल अपने कर्मचारियों के साथ खड़े होकर उन्हें आस्वस्त किया और वेतन भी दिया। प्रत्येक साल तक़रीबन ३० से अधिक चिकित्सा शिविर का आयोजन करना और तक़रीबन २५ हजार से अधिक लोगो का मुफ्त में इलाज शुनिश्चित करना। १५० इंडिया मार्का का हैण्ड पम्प लगवाकर ग्रामीणों को स्वस्छ पेय जल उपलब्ध कराया। इसके साथ ही तमाम सरकारी योजनाओं के क्रियान्वन में भगीदारी कर उन्हें आम जन तक पहुँचाना। मुख्यमंत्री राहत कोष में २ करोड़ से अधिक का चंदा दिया गया प्रधानमंत्री राहत कोष में भी समय समय पर चंदा दिया जाता है प्रत्येक वर्ष ठण्ड के माह में १० हजार से अधिक जरुरतमंदो को कंबल वितरण करना प्रत्येक १० मार्च को भंडारे का आयोजन आसपास के ग्रामीणों के लड़कियों के कन्यादान में कंपनी द्वारा सहयोग करना क्षय रोग अस्पताल में तीन वेंटिलेटर प्रदान किये. उपरोक्त सभी कार्यो की सराहना स्तानीय प्रशासन तथा राज्य सरकार द्वारा कई सार्वजनिक मंचो से किया गया है और इनके इन अद्भुत सहयोग हेतु इन्हे जिलाअधिकारी गोरखपुर, मुख्य विकास अधिकारी गोरखपुर, मुख्य चिकित्साधिकारी गोरखपुर , जनपद न्यायालय गोरखपुर , उपजिलाधिकारी सहजनवा, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक गोरखपुर , एवं कैबिनेट चिकित्सा मंत्री द्वारा प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जा चूका है और भी कई पुरस्कार इन्हे राज्य स्तरीय प्राप्त है।

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