पीपीगंज नगर पंचायत के परिसीमन में हुआ बहुत बड़ा खेल,भ्रष्टाचार के खिलाफ सभासदों ने खोला मोर्चा।
बाँसगाँव संदेश
गोरखपुर।पीपीगंज नगर पंचायत के परिसीमन में हुआ बहुत बड़ा खेल नगर पंचायत पीपीगंज में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ सभासदों ने नगर अधिशासी अधिकारी महेंद्र नाथ पाण्डे एवं चेयरमैन गंगा प्रसाद जायसवाल के खिलाफ मोर्चा खोला था। जिसके क्रम में 34 विंदुओ के सापेक्ष 14 बिंदुओं पर अनियमितता पाई गई थी। सभासदों का कहना है कि नगर अधिशासी अधिकारी महेंद्र नाथ पाण्डे का स्थानांतरणअनिमियत्ता पाए जाने पर हुआ। इसी का सभासदों से बदला लेने के लिए वार्ड परिसीमन में बहुत बड़ा गोलमाल कर दिया गया। सभासदों का कहना है कि वार्ड परिसीमन में मानक का ध्यान एवं शासनादेश का पालन नहीं किया गया है। पूरे नगर के वार्ड का नाम बदल दिया गया जिससे अभिलेखों को बदलने में जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़े़गा। वही सभासदों का कहना है कि ग्राम सभा कोल्हूआ एवं बरहटा मिलाकर एक ग्राम सभा था जिसकी आबादी 2509 थी। लेकिन कोल्हूआ को नगर पंचायत पीपीगंज में सम्मिलित कर लिया गया वहीं एक टोले वरहटा को ग्राम सभा में ही रखा गया। लेकिन आनन-फानन में दोनों को जोड़़कर जनसंख्या बाहुल्य दिखा दिया गया वर्तमान में उस वार्ड की कुल आबादी लगभग पंद्रह सौ होगी जो शासनादेश के खिलाफ है। जबकि उसकी आबादी लगभग 2200 होनी चाहिए। यही हाल ग्राम सभा हरपुर का है जो हरपुर एवं मेंथौली को जोड़़कर ग्राम सभा था ।लेकिन ग्राम सभा हरपुर टोला को नगर पंचायत पीपीगंज में सम्मिलित कर लिया गया वहीं मेथौली को छोड़़ दिया गया। लेकिन वार्ड परिसीमन में मेथौली भी नगर पंचायत की जनसंख्या में जोड़ा़ गया है।लेकिन अब भी मेथौली ग्राम सभा में ही है। वही हाल जंगल झझवा का है जंगल झझवा एवं कुई ग्राम सभा था। लेकिन नगर पंचायत पीपीगंज में ग्राम सभा में जंगल झझवा को जोड़ा गया।वहीं कुई को छोड़ दिया गया है। लेकिन परिसीमन में दोनों को जोड़़कर उसकी आबादी बना दी गई है। वहीं वार्ड नंबर 7 के पूर्व सभासद रामानंद दाढ़ी वाले का कहना है कि नगर पंचायत पीपीगंज में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के वजह से एवं जांँच उपरांत 34 बिंदुओं के सापेक्ष 14 बिंदुओं पर अनियमितता पाई गई है। उसी पर बौखला कर नगर पंचायत पीपीगंज के अधिशासी अधिकारी महेन्द्रनाथ पाणडे अपना बदला पूरा करने के लिए बदले की भावना से वार्ड नंबर 7 लोहिया नगर को 5 भागों में विभाजित कर दिया जो शासनादेश के खिलाफ है। एवं शासनादेश का सीधा सीधा उल्लंघन है। वही हाल वार्ड नंबर 5 का है उस वार्ड के पूर्व सभासद दिनेश यादव का कहना है कि मेरे वार्ड को दो भागों में विभाजित कर दिया गया है एवं वार्ड का नाम भी बदल दिया गया है। वार्ड नंबर 3 के सभासद मोहम्मद अताउल्लाह का कहना है कि मेरे वार्ड का राजनीतिकरण करते हुए मेरे वार्ड को रेलवे लाइन को पार करते हुए टीचर कॉलोनी में जोड़ दिया गया है जबकि बगल में कोल्हूआ को मिलाया गया होता तो वार्ड की जनसंख्या पूरी हो जाती। सभासदों का कहना है कि भ्रष्टाचार का उजागर होने की वजह से अधिशासी अधिकारी की मिलीभगत से कुछ नगर पंचायत पीपीगंज के कर्मचारियों को मिलाकर बैठाकर परिसीमन का नक्शा तैयार कराया गया जो नियम के विपरीत है। वार्ड परिसीमन का विरोध करने वाले मुख्य रूप से हिंदू युवा वाहिनी नगर अध्यक्ष कमलेश वर्मा, नीलम देवी, रिंकल यादव, आनंद भारती, सीमा भारती, आदि लोगों ने पुनः परिसीमन कराने के लिए शिकायत दर्ज कराई है। वही लेखपालों से पूछा गया तो वह लोग बताएं कि परिसीमन के बारे में हम लोगों को कुछ भी पता नहीं है। वहीं नगर अध्यक्ष गंगा प्रसाद जायसवाल से पूछा गया तो उनका कहना है कि परिसीमन के बारे में बोर्ड को संज्ञान में लेना चाहिए था लेकिन मुझे भी परिसीमन के बारे में कुछ पता नहीं है। जो हुआ शासनादेश के खिलाफ हुआ है।
गोरखपुर।पीपीगंज नगर पंचायत के परिसीमन में हुआ बहुत बड़ा खेल नगर पंचायत पीपीगंज में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ सभासदों ने नगर अधिशासी अधिकारी महेंद्र नाथ पाण्डे एवं चेयरमैन गंगा प्रसाद जायसवाल के खिलाफ मोर्चा खोला था। जिसके क्रम में 34 विंदुओ के सापेक्ष 14 बिंदुओं पर अनियमितता पाई गई थी। सभासदों का कहना है कि नगर अधिशासी अधिकारी महेंद्र नाथ पाण्डे का स्थानांतरणअनिमियत्ता पाए जाने पर हुआ। इसी का सभासदों से बदला लेने के लिए वार्ड परिसीमन में बहुत बड़ा गोलमाल कर दिया गया। सभासदों का कहना है कि वार्ड परिसीमन में मानक का ध्यान एवं शासनादेश का पालन नहीं किया गया है। पूरे नगर के वार्ड का नाम बदल दिया गया जिससे अभिलेखों को बदलने में जनता को दिक्कतों का सामना करना पड़े़गा। वही सभासदों का कहना है कि ग्राम सभा कोल्हूआ एवं बरहटा मिलाकर एक ग्राम सभा था जिसकी आबादी 2509 थी। लेकिन कोल्हूआ को नगर पंचायत पीपीगंज में सम्मिलित कर लिया गया वहीं एक टोले वरहटा को ग्राम सभा में ही रखा गया। लेकिन आनन-फानन में दोनों को जोड़़कर जनसंख्या बाहुल्य दिखा दिया गया वर्तमान में उस वार्ड की कुल आबादी लगभग पंद्रह सौ होगी जो शासनादेश के खिलाफ है। जबकि उसकी आबादी लगभग 2200 होनी चाहिए। यही हाल ग्राम सभा हरपुर का है जो हरपुर एवं मेंथौली को जोड़़कर ग्राम सभा था ।लेकिन ग्राम सभा हरपुर टोला को नगर पंचायत पीपीगंज में सम्मिलित कर लिया गया वहीं मेथौली को छोड़़ दिया गया। लेकिन वार्ड परिसीमन में मेथौली भी नगर पंचायत की जनसंख्या में जोड़ा़ गया है।लेकिन अब भी मेथौली ग्राम सभा में ही है। वही हाल जंगल झझवा का है जंगल झझवा एवं कुई ग्राम सभा था। लेकिन नगर पंचायत पीपीगंज में ग्राम सभा में जंगल झझवा को जोड़ा गया।वहीं कुई को छोड़ दिया गया है। लेकिन परिसीमन में दोनों को जोड़़कर उसकी आबादी बना दी गई है। वहीं वार्ड नंबर 7 के पूर्व सभासद रामानंद दाढ़ी वाले का कहना है कि नगर पंचायत पीपीगंज में व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने के वजह से एवं जांँच उपरांत 34 बिंदुओं के सापेक्ष 14 बिंदुओं पर अनियमितता पाई गई है। उसी पर बौखला कर नगर पंचायत पीपीगंज के अधिशासी अधिकारी महेन्द्रनाथ पाणडे अपना बदला पूरा करने के लिए बदले की भावना से वार्ड नंबर 7 लोहिया नगर को 5 भागों में विभाजित कर दिया जो शासनादेश के खिलाफ है। एवं शासनादेश का सीधा सीधा उल्लंघन है। वही हाल वार्ड नंबर 5 का है उस वार्ड के पूर्व सभासद दिनेश यादव का कहना है कि मेरे वार्ड को दो भागों में विभाजित कर दिया गया है एवं वार्ड का नाम भी बदल दिया गया है। वार्ड नंबर 3 के सभासद मोहम्मद अताउल्लाह का कहना है कि मेरे वार्ड का राजनीतिकरण करते हुए मेरे वार्ड को रेलवे लाइन को पार करते हुए टीचर कॉलोनी में जोड़ दिया गया है जबकि बगल में कोल्हूआ को मिलाया गया होता तो वार्ड की जनसंख्या पूरी हो जाती। सभासदों का कहना है कि भ्रष्टाचार का उजागर होने की वजह से अधिशासी अधिकारी की मिलीभगत से कुछ नगर पंचायत पीपीगंज के कर्मचारियों को मिलाकर बैठाकर परिसीमन का नक्शा तैयार कराया गया जो नियम के विपरीत है। वार्ड परिसीमन का विरोध करने वाले मुख्य रूप से हिंदू युवा वाहिनी नगर अध्यक्ष कमलेश वर्मा, नीलम देवी, रिंकल यादव, आनंद भारती, सीमा भारती, आदि लोगों ने पुनः परिसीमन कराने के लिए शिकायत दर्ज कराई है। वही लेखपालों से पूछा गया तो वह लोग बताएं कि परिसीमन के बारे में हम लोगों को कुछ भी पता नहीं है। वहीं नगर अध्यक्ष गंगा प्रसाद जायसवाल से पूछा गया तो उनका कहना है कि परिसीमन के बारे में बोर्ड को संज्ञान में लेना चाहिए था लेकिन मुझे भी परिसीमन के बारे में कुछ पता नहीं है। जो हुआ शासनादेश के खिलाफ हुआ है।
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