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    गगहा गोरखपुर बांसगांव संदेश ।प्राकृतिक खेती की तकनीक से लाभान्वित होंगे किसान

    प्राकृतिक खेती की तकनीक से किसान होंगे लाभान्वित 

     गगहा गोरखपुर बांसगांव संदेश ।आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार गोरखपुर द्वारा प्राकृतिक खेती की तकनीक विषय पर व्यवसायिक प्रशिक्षण का आयोजन दिनांक 26 से 30 जुलाई  2022 तक केंद्र के प्रशिक्षण हाल मे संपन्न किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन के अवसर पर केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ एस के तोमर ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए बताया कि प्राकृतिक खेती द्वारा उत्पादित उत्पाद आय एवं रोजगार का उत्तम स्रोत है जिससे कृषकों के लिए आय की स्रोत के कई रास्ते उपलब्ध हो जाते हैं क्योंकि इस प्रकार की प्रणाली से उत्पन्न हुए  उत्पाद की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है और कृषि उत्पादन के वृद्धि में सहयोगी है।  इसके साथ विभिन्न फसलों का अंतरासस्यन करके एक दूसरे के वृद्धि, विकास एवं पोषक तत्व की मात्रा में सहयोग करती है l  प्रशिक्षण के संयोजक पादप प्रजनन विभाग के वैज्ञानिक डॉक्टर शिवेंद्र प्रताप सिंह ने किसानों को प्राकृतिक खेती में प्रयोग होने वाले जीवामृत, घन जीवामृत, बीजामृत, पंचगव्य, नीमस्त्र आदि के बनने की विधियों के बारे में बताया एवं बनाकर प्रयोग करने की तरीके के बारे में विस्तार पूर्वक बताया l वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ एस पी सिंह ने सब्जी एवं फल उत्पादन में प्रयोग करने की विधि के बारे में बताया जिससे सब्जियो एवं फलों की गुणवत्ता में वृद्धि होगी l वैज्ञानिक डॉ एस के सिंह ने देशी गाय के गुण के बारे में बताया और साथ ही साथ गाय के गोबर और मूत्र गुणवत्ता के बारे में बताया जिसका प्रयोग कर  मृदा की उर्वरता बढ़ाने में अत्यंत लाभकारी है जिससे खेत में केंचुआ की संख्या  बढ़ती है l वैज्ञानिक शैलेंद्र सिंह ने रोग और कीटों को कम करने की प्राकृतिक विधि के बारे में बताया l केंद्र के वैज्ञानिक डॉ कंचन ने किसानों को किचन गार्डन में प्राकृतिक उत्पादों का प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया l प्राकृतिक खेती यह तकनीक के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दिया। इस प्रशिक्षण में जनपद के विभिन्न विकास खंडों से 20 प्रशिक्षणार्थियों ने प्रतिभाग किया। इस प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक संपादित करने में एन पी शाही, मनीष सिंह, शालिनी देवी एवं ओम प्रकाश  आदि का महत्वपूर्ण योगदान रहा।

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