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    बाह्य सुरक्षा के साथ आन्तरिक सुरक्षा भी राष्ट्र के लिए परम आवश्यक - गोलोक बिहारी राय

    बाह्य सुरक्षा के साथ आन्तरिक सुरक्षा भी राष्ट्र के लिए परम आवश्यक- गोलोक बिहारी राय


    गोरखपुर (बांसगांव संदेश) : किसी भी राष्ट्र के लिए जितना आवश्यक देश की सरहदों पर लगी बाह्य सुरक्षा है उतना हीं आवश्यक उस राष्ट्र के निवासियों के बीच आंतरिक सुरक्षा भी है। बाह्य सुरक्षा के लिए सीमाओं पर सेना के जवान तैनात हैं लेकिन आंतरिक सुरक्षा का दायित्व राष्ट्र के प्रत्येक नागरिकों का होता है। उक्त बातें सरस्वती विद्या मंदिर महिला पी जी कालेज आर्य नगर गोरखपुर में 'राष्ट्रीय सुरक्षा जागरण मंच' गोरक्षप्रान्त की सांगठनिक बैठक में बतौर मुख्य अतिथि मंच के राष्ट्रीय संगठन सचिव गोलोक बिहारी राय ने कही।

    वैश्विक सुरक्षा की सोच भारतीय संस्कृति में निहित है- गोलोक बिहारी राय


    उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति संपूर्ण मानवता की संस्कृति है। इस संस्कृति में न केवल एक राष्ट्र की सुरक्षा की बात है कि गई है अपितु संपूर्ण विश्व की सुरक्षा की सोच भारतीय संस्कृति में निहित है। उन्होंने मंच के बारे में बताते हुए कहा कि यह मंच 1915 से राष्ट्र व समाज जीवन की विविध समस्याओं के समाधान के लिए कार्य कर रहा है। किसी व्यक्ति के सामाजिक जीवन एवं राष्ट्र जीवन में क्या दायित्व होने चाहिए, एक व्यक्ति का अपने परिवार, समाज व राष्ट्र के लिए कहां तक उत्तरदायित्व होता है, उसको आज हम सभी को इस मंच के माध्यम से बताना होगा और जगाना होगा, यही इस जागरण मंच का उद्देश्य है।  

        उन्होंने कहा कि भारत देश पड़ोसी देशों से हजारों वर्ष पहले से सांस्कृतिक रूप से जुड़ा रहा है और परस्पर संस्कृति के आदान-प्रदान के साथ हीं व्यापारिक संबंधों के माध्यम से अपने ज्ञान विज्ञान से विश्व को योगदान देता रहा है। रघुवंश में महाकवि कालिदास ने राजा पुरु की यात्रा का वर्णन करते हुए कहा है कि उन्होंने ईरान से इंडोनेशिया तक की सांस्कृतिक यात्रा की थी। जो कि आज के समय में भी कितना प्रासंगिक है यह हम सभी अपने माननीय प्रधानमंत्री जी के उद्बोधन व क्रियाकलापों से देख रहे हैं। किसी भी देश के साथ परस्पर आर्थिक संबंध बहुत अधिक दिनों तक स्थाई नहीं रहता है इसके उदाहरण के रूप में श्रीलंका और पाकिस्तान का चीन के साथ संबंधों को हम देख सकते हैं, जबकि जीवन मूल्यों तथा सांस्कृतिक आधारों पर बना संबंध चिरस्थाई होता है, यहीं भारत का उनके पड़ोसी देशों के साथ वैश्विक संबंधों का आधार रहा है।

          विशिष्ट अतिथि के रूप मंच के उत्तर प्रदेश के संयोजक तथा वरिष्ठ पत्रकार अरुण जी ने कहा की प्रधानमंत्री मोदी जी की अखंड भारत की संकल्पना तभी सिद्ध होगी जब राष्ट्र बाह्य और आंतरिक दोनों प्रकार से पूर्ण सुरक्षित रहेगा। हम जिस किसी भी क्षेत्र में कार्य करते हैं वहीं कार्य करते हुए हम राष्ट्र की सुरक्षा कर सकते हैं तथा अपने समाज और राष्ट्र के लिए नकारात्मक विचारधाराओं को समाप्त कर राष्ट्रीय सकारात्मकता को जगाने का काम कर सकते हैं।
        
       बैठक की अध्यक्षता कर रहे मंच के गोरक्ष प्रान्त के अध्यक्ष तथा अखिल भारतीय पूर्व सैनिक सेवा परिषद के महासचिव कर्नल रामाश्रय मिश्र ने कहा कि आज हमारे समाज का युवा भ्रमित होकर राष्ट्रीय विचारधारा से विमुख होते हुए समाज व राष्ट्र को क्षति पहुंचाता है तो इसमें कहीं ना कहीं समाज के हम सभी लोगों का दायित्व है कि हम उनको अपनी संस्कृति व संस्कारों से अवगत कराएं और राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति लोगों को जागरूक करें। 

        संगोष्ठी में सेवानिवृत्त सूबेदार मेजर अखिलेश प्रताप सिंह, डॉ राजेश गुप्ता, डॉ करुणेश त्रिपाठी, डॉ सुधीर मिश्र, डॉ राम प्रभाकर द्विवेदी, राहुल गिरी, सुषमा शुक्ला, डॉ अभिषेक पांडेय, संजीव शाही एडवोकेट, डा अशोक शाही इत्यादि वक्ताओं ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

    संगोष्ठी का शुभारम्भ डॉ॰ प्रांगेश कुमार मिश्र द्वारा प्रस्तुत माँ सरस्वती वंदना से हुआ। संगोष्ठी का संचालन मंच के प्रांत उपाध्यक्ष डॉ॰ विनय कुमार मिश्र ने किया तथा आगत अतिथियों का आभार ज्ञापन बृजेश मणि मिश्र ने किया। इस अवसर पर प्रमुख रूप से शशि भूषण शर्मा, रवि प्रताप सिंह, डॉ॰अभिषेक हिमांशु श्रीवास्तव, ओंकार नाथ तिवारी आदि उपस्थित रहे।
        
      
        


       
     

                              

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