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    पूरा करती है श्रद्धालुओं की मुरादे डड़ॉरी की सम्मय माता



     गोला ! बांसगांव संदेश! गोला तहसील क्षेत्र के ब्लॉकगगहा स्थित ग्राम सभा डेहरीभार डंडारी नामक स्थान पर स्थित सम्मय माता का स्थान।नव रात्रि के दिनों में भक्त जनों से गुलजार बना रहता है।डणारीनामक  स्थान पर स्थित होने के कारण माता सम्मय को डड़ॉ री के सम्मय माता के नाम से ख्याति प्राप्त है ।माता के स्थान पर जो भी भक्त सच्चे हृदय से भाव के साथ आता है  उसकी सारी मुरादें मा पूरा कर देती है। वैसे तो वर्षपर्यंत इस स्थान पर भक्तों की भीड़ देखने को मिलती है लेकिन नवरात्र के दिनों में मेलाजैसा स दृश्य बना रहता है।
      बताते चलें कि जनपद के दक्षिणांचल में स्थित गोला तहसील मुख्यालय से लगभग 7 किमी दूर उत्तर गोला कौड़ीराम सड़क मार्ग पर चिलवा तरैना पुल से पश्चिम उत्तर कोने पर स्थित ग्राम सभा डेहरी भार का बे चिरागी मौजा  धौसहर  उर्फ बेलवा भारी में तरैना नाले के पश्चिम डड़ा री स्थान पर एक नीम के पेड़ के नीचे सम्मय माता का स्थान स्थित है। प्राचीन काल मे घनघोर जंगल था। माता सम्मय अपने मिट्टीके टूटे हाथी घोड़ो के सहारे बिराजमान रहती थी।लेकिन बर्तमान में वहां का परिदृश्य  काफी विकसित हो चुका है।
      क्षेत्र के अनेकों बुजुर्गो द्वारा मिली।जानकारी के अनुसार इस बड़े ऊसर भूमि का अधिकांश भु भाग घना जंगलो में तब्दील था।कई किमी तकइस जंगल मे किसी जीवन का कोई कल्पना नही हुआ करता था।हिंसक जानवर बिचरण किया करते थे। 
       जंगल से आवागमन करने वाले मुसाफिरों को आते जाते वक्त एक मात्र सहारा माता सम्मय माताका मिलता था ।जिनके सहारे हर भूला भटका राही अपने गंतव्य स्थान को सुरक्षित पहुंच जाता था। ऐसी स्थिति में लोग मन्नते मान कर उनके स्थान पर लवंग कपूर आदि बराबर चढ़ाया करते थे। धीरे-धीरे इस प्रकार हर संकटो में   सहयोग करने वाली माता सम्मय  लोगों की आस्था का केंद्र बन गई ।गौरतलब बात यह है कि इस प्राचीन शक्ति दायिनी मां के स्थान पर कोई पुजारी नहीं रह पाता था। लेकिन कुछ अरसेपहले इस माता के स्थान पर भूले भटकते एकमहात्मा का आगमन हुआ  ।वह वहां रहकर माता की सेवा करने लगे। सम्मय माता उन पर प्रसन्न हुई। आज वह पुजारी महन्थरामस्वरूप दास जी महाराजके रूप में प्रसिद्ध हो गए ।उनके अथकप्रयास व जन सहयोग से मंदिर का निर्माण व धर्मशाला का निर्माण हुआ
       मंदिर पर बराबर संत महात्माओं का समागम बना रहता है।चैत्र व क्वार के नवरात्रि के दिनों में मेला जैसा दृश्य उपस्थित रहता है। कीर्तन भजन का कार्यक्रम बराबर माता के स्थान पर चलता रहता है ।जिससे जंगल मेंमंगल पूर्ण रुप से  बना रहता है। साईं बाबा हनुमान मंदिर शिव मंदिर  मातासम्मय का मंदिरश्रीकृष्ण मंदिर स्थित है ।यह
    स्थान अगल-बगल के गांव के लिए ही नहीं बल्कि दूरदराज के लोगों के लिए एक धाम बन चुका है। जो भी भक्त सच्चे दिल से मां के दरबार में आकर मत्था टेकता है ।उसकी सारी मुरादें माता सम्मय पूरा कर देती है।

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