बच्चों को दीनी व दुनियावी तालीम जरूर दिलाएं : नायब काजी
गोरखपुर। नायब काजी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी ने कहा कि अल्लाह की इबादत करें। पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताए रास्ते पर चलें। मस्जिदों को अपने सजदों से आबाद करें। बुराई, नशा, फिजूल बातों से दूर रहें। पैग़ंबर-ए-आज़म की तालीमात पर अमल कर दुनिया वालों के लिए बेहतरीन नमूना बनें। इससे पैग़ंबर-ए-आज़म खुश होंगे।
नायब काजी ने गुलरिहा बाजार जामा मस्जिद के निकट जलसा-ए-ईद मिलादुन्नबी में बतौर मुख्य अतिथि आगे कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म हमारे आदर्श हैं। जिन कामों से उन्होंने मना किया है मुसलमान उससे दूर रहें। वह काम करें जिसे पैग़ंबर-ए-आज़म ने पसंद फरमाया है। दीन-ए-इस्लाम का क़ानून, पैग़ंबर-ए-आज़म की शिक्षा व जीवन शैली के जरिए ही पूरी दुनिया में अमन मुमकिन है। इल्म हमारा सरमाया है। इसकी हिफ़ाजत करें। एक वक्त का खाना छोड़ना पड़े तो भी बच्चों को दीनी व दुनियावी तालीम जरूर दिलाएं।
क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से जलसे का आगाज़ हुआ। नात-ए-पाक पेश की गई। मुस्लिम समाज की तमाम समस्याओं व उसके समाधान पर विचार विमर्श किया गया। तालीम के प्रति जागरूकता की बात कही गई।
विशिष्ट अतिथि मोहम्मद अनस रज़वी ने कहा कि जब तक हम खुद नहीं बदलेंगे तब तक हमारे हालात नहीं बदलने वाले। लिहाजा हमें रोशनी के अज़ीम मरकज़ पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़ात से खुद को जोड़ना होगा। सहाबा किराम वाला दीनी ज़ज़्बा पैदा करना होगा। क़ुरआन-ए-पाक व हदीस-ए-पाक पर मुकम्मल अमल करना होगा। इल्म हासिल करना होगा। बुराईयों से दूरी अख़्तियार करनी होगी। दूसरों के दुख दर्द में शरीक होना होगा। सुन्नत-ए-नबवी पर चलना होगा। फर्ज की वक्तों पर अदाएगी करनी होगी। तब जाकर हमारा मुस्तकबिल रोशन होगा।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो शांति की दुआ मांगी गई। जलसे में मौलाना शेर मोहम्मद अमजदी, मौलाना शेर अली, मौलाना शमशाद, हाफिज हसीब, शाह आलम, मेहताब आलम, वकील आलम, कासिद रज़ा इस्माइली, जमाल करीमी, आसिफ जमाल, मोहम्मद सैफ, निसार, मोहम्मद कमर, शमशेर, सिराजुद्दीन, नईमुद्दीन अहमद आदि ने शिरकत की।
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