मदरसों में नेक, आत्मनिर्भर व मेहनतकश इंसान बनने की ट्रेनिंग दी जाती : महजबीन
मदरसों में नेक, आत्मनिर्भर व मेहनतकश इंसान बनने की ट्रेनिंग दी जाती : महजबीन
तुर्कमानपुर मेें मुस्लिम महिलाओं की जागरूकता संगोष्ठी
गोरखपुर। रविवार को मकतब इस्लामिया फैजाने मुबारक खां शहीद की ओर से तुर्कमानपुर (पहाड़पुर) में मुस्लिम महिलाओं में जागरूकता के लिए संगोष्ठी (इज्तिमा) का आयोजन हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। हम्दो नात पेश की गई।
मुख्य वक्ता जामिया क़ादरिया तजवीदुल क़ुरआन लिल बनात अलहदादपुर की शिक्षिका आलिमा महजबीन सुल्तानी ने कहा कि नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम कायनात की जान हैं। उन पर उतरने वाली किताब क़ुरआन-ए-पाक की पहली आयत इल्म हासिल करने से ताल्लुक रखती है। इल्म की अहमियत की वजह से मुसलमानों को कयादत मिली। मुस्लिम वैज्ञानिकों ने क़ुरआन व हदीस में गौर फिक्र करके नई-नई खोजें की। मदरसों में दीनी ही नहीं बल्कि एक नेक, जिम्मेदार, आत्मनिर्भर और मेहनतकश इंसान बनने की ट्रेनिंग दी जाती है। पूरी दुनिया का मुसलमान अल्लाह और उसके नबी-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के फरमान पर अमल करता है और करता रहेगा। मदरसों ने हिन्दुस्तान में सामाजिक क्रांति की। मदरसों ने जिस तरह से तालीम के जरिए से अमीर-गरीब का फर्क मिटाया वह दुनिया के किसी अन्य एजुकेशनल सिस्टम में खोजने से भी नहीं मिलता। तमाम बुरे हालातों में भी मुसलमानों ने अपने शैक्षणिक संस्थानों को बचाए रखा। मदरसे सीना ताने खड़े रहे। आलिमों ने गांव-गांव जाकर अभिभावकों से बच्चों को मांगा। उन्हें पढ़ाया ताकि वे इज़्ज़त की ज़िंदगी बसर कर सकें। यतीमों को गोद लिया। बेसहारा को ज़िंदगी दी। यही पैग़ाम दिया कि इस्लामी तालीम पर सभी का बराबर हक़ है। क़ुरआन व हदीस पढ़कर कोई भी आलिम बन सकता है।
अंत में सलातो-सलाम पढ़कर मुल्को मिल्लत के लिए दुआ की गई। संगोष्ठी में आलिमा नाजमीन फातिमा, सबा नूर कादरी, नौशीन फातिमा कादरी, सादिया खातून आदि मौजूद रहीं।
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