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    श्री राम जन्मोत्सव की कथा सुनकर भक्त गण हुए भाव विभोर

    *श्रीराम जन्मोत्सव की कथा सुनकर भाव विभोर हुए श्रोता* सहजनवा गोरखपुर बांसगांव संदेश ।सहजनवा तहसील क्षेत्र के कुरमौल गांव में स्थित हरिश्वर नाथ मंदिर प्रांगण में चल रही सात दिवसीय श्रीराम मानस महायज्ञ के चौथे दिन कथावाचक ने श्रोताओं को श्रीराम जन्मोत्सव प्रसंग की कथा सुनाई। कथावाचक साध्वी गायत्री ने कहा कि महाराजा दशरथ ने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया। महाराज दशरथ ने श्यामकर्ण घोड़े को चतुरंगिनी सेना के साथ छुड़वाने का आदेश दिया। महाराज ने समस्त मनस्वी, तपस्वी, विद्वान ऋषि-मुनियों तथा वेदविज्ञ प्रकांड पण्डितों को बुलावा भेजा। वह चाहते थे कि सभी यज्ञ में शामिल हों। यज्ञ का समय आने पर महाराज दशरथ अपने सभी अभ्यागतों व कुलगुरु वशिष्ठ समेत यज्ञ मण्डप में पधारे। फिर विधिवत यज्ञ शुभारंभ किया गया। यज्ञ की समाप्ति के बाद समस्त पंडितों, ब्राह्मणों, ऋषियों आदि को यथोचित धन-धान्य, गाय आदि भेंट की और उन्हें सादर विदा किया गया। यज्ञ के प्रसाद में बनी खीर को राजा दशरथ ने अपनी तीनों रानियों को दी। प्रसाद ग्रहण करने के परिणामस्वरूप तीनों रानियां गर्भवती हो गईं। सबसे पहले महाराजा दशरश की बड़ी रानी 


    कौशल्या ने एक शिशु को जन्म दिया जो बेहद ही कांतिवान, नील वर्ण और तेजोमय था। इस शिशु का जन्म चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को हुआ था। इस समय पुनर्वसु नक्षत्र में सूर्य, मंगल शनि, बृहस्पति तथा शुक्र अपने-अपने उच्च स्थानों में विराजित थे। फिर शुभ नक्षत्रों में कैकेयी और सुमित्रा ने भी अपने-अपने पुत्रों को जन्म दिया। कैकेयी का एक और सुमित्रा के दोनों पुत्र बेहद तेजस्वी थे। महाराज के चारों पुत्रों के जन्म से सम्पूर्ण राज्य में आनन्द का माहौल छा गया। हर कोई खुशी में गन्धर्व गान कर रहा था, और अप्सराएं नृत्य करने लगीं। देवताओं ने पुष्प वर्षा की। प्रजाजनों को महाराज ने धन-धान्य और दरबारियों को रत्न, आभूषण भेंट की। महर्षि वशिष्ठ ने महाराज के पुत्रों का नाम राम, भरत, लक्ष्मण व शत्रुघ्न रखा। महायज्ञ समिति के अध्यक्ष सुरेश यादव, महेंद्र यादव, सुनील यादव, रामकेवल यादव, ओंकार यादव, रामवृक्ष गुप्ता, रमेश दुबे, रामप्रीत यादव, महंत राम लखन दास सहित सैकड़ों श्रोता मौजूद रहे।

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