भृगुनाथ अध्यक्ष व सुशील महामन्त्री चुने गए
गोरखपुर (बांसगांव संदेश) : उत्तर प्रदेश संस्कृत विद्यालय शिक्षक समिति उ० प्र० की जनपद गोरखपुर ईकाई का चुनाव श्री सनातन धर्म संस्कृत महाविद्यालय हासूपुर गोरखपुर में सम्पन्न हुआ। जिसमें भृगुनाथ मिश्र अध्यक्ष, अखिलेश दुबे व किरन त्रिपाठी उपाध्यक्ष, सुशील मिश्र महामंत्री, राजेश पाण्डेय व अभिषेक पाण्डेय संगठन मन्त्री, आलोक सिह संयुक्त मन्त्री, सत्यप्रकाश पाण्डेय प्रचार मंत्री, शशिशेखर राम त्रिपाठी कोशाध्यक्ष, विनय कुमार मिश्र आय- व्यय निरीक्षक, सुग्रीव मिश्र उपमंत्री, संजय पाण्डेय जनपद प्रवक्ता, विशेष नामित सदस्य- माता बदल पाण्डेय, व्यासदेव शर्मा, रामेश्वर राम त्रिपाठी, राहुल राम त्रिपाठी आदि सर्वसम्मति से चुने गए।
चुनाव अधिकारी प्रदेश उपाध्यक्ष आचार्य बृजेश मणि मिश्र ने पहले अध्यक्ष के चुनाव के निमित्त नाम मांगा, जिसमें सर्वसम्मति से केवल एक नाम भृगुनाथ मिश्र का आया। इसी प्रकार से सभी पदाधिकारियों का सर्वसम्मति से चयन हुआ। चयन के उपरान्त प्रदेश के चुनाव अधिकारी व पर्यवेक्षक ने चयनित पदाधिकारियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया।
इस अवसर पर नवनिर्वाचित अध्यक्ष भृगुनाथ मिश्र नें संस्कृत विद्यालयों की तमाम विसंगतियों को दूर कराते हुए नवसृजित पाठ्यक्रम के अनुरूप विषयाध्यापकों की व्यवस्था कराए जाने के संबंध में तथा संविदा शिक्षकों के मानदेय की नियमित भुगतान व कार्यकाल वृद्धि के संबंध में नवगठित समिति के चयनित पदाधिकारियों को संघर्ष करने का आह्वान किया।
प्रदेश महामंत्री डॉ० श्रवण कुमार मणि त्रिपाठी ने संस्कृत विद्यालयों में प्रोजेक्ट अलंकार योजना, परिचर व लिपिक की नियुक्ति व संस्कृत विद्यालयों के जर्जर हो चुके भवनों के पुनरुद्धार के लिए अनुदान हेतु शासन से मांग करनें तथा नवगठित समिति के लक्ष्यों के अनुरूप पूर्ण सक्रियता के साथ एकजुट होकर आवाज बुलंद करने का आह्वान किया तथा संस्कृत विद्यालयों में नियुक्तियां न होने से जो भी वाद न्यायालय में लंबित हैं, उसका निस्तारण कराते हुए
महाविद्यालयों में वेतन विसंगति को दूर कराने के संकल्प को दुहराया।
पर्यवेक्षक के रूप में श्यामदत्त शुक्ल व डॉ० श्रवण कुमार मणि त्रिपाठी, चुनावाधिकारी बृजेश मणि मिश्र व डॉ० अभिषेक पाण्डेय की देख रेख में जनपदीय कार्यकारिणी का चुनाव सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर जनपद गोरखपुर साधारण सभा के सदस्य सहित संस्कृत माध्यमिक विद्यालय व संस्कृत महाविद्यालयों के प्राचार्य व प्राध्यापक गण उपस्थित रहे।
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