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    व्यक्ति के माता- पिता ही होते है पहले गुरु- आचार्य बंसत शुक्ल महाराज

    गोला गोरखपुर!
    बांसगांव संदेश!गोला क्षेत्र के ग्राम पंचायत डाँड़ी में अमित मेडिकल स्टोर के सौजन्य से चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन झुनकी घाट अयोध्या से पधारे आचार्य बसंत शुक्ल महाराज ने कथा का रसपान कराते हुए कहा कि धुव की कथा से हमे यह शिक्षा मिलती है कि भक्ति की कोई सीमा नही होती इसके उदाहरण ध्रुव व प्रह्लाद है ध्रुव को बचपन से ही अपने माता द्वरा अच्छे संस्कार मिले थे अतः माता पिता को बचपन से ही अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देने चाहिए|
     भक्ति प्रसंग की ब्याख्या करते हुए महराज जी ने बताया की ब्यक्ति की प्रथम गुरु उसकी माँ होती है माता चाहे तो बेटा डॉक्टर,इंजीनियर,इत्यादि,एवं भक्त हो सकता है 
     पुरंजन की कथा में - प्रचीन वर्हि नाम का राजा जब जीवो की हिसा यज्ञ के माध्यम से करने लगा तब नारद जी ने समझया कि ब्यक्ति को कभी भी जीव की हिंसा नही करनी चाहिए क्योंकि प्रत्येक प्राणी में परमात्मा का वास है और नारद जी ने पुरजनोपाख्यान के कथा से प्रचीन वर्हि को समझया  
       कथा के अंत में मुख्य यजमान श्रीमती सरस्वती देवी , रामकिशुन गुप्ता , रामरतन गुप्ता,श्रीकिशुन गुप्ता,छोटेलाल गुप्ता ने सभी आगन्तुक श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।
     कथा श्रवण के लिए अमित गुप्ता,सुमित गुप्ता,अरुण गुप्ता,अमन गुप्ता ,जय मिश्रा,राजू यादव, विजय मिश्रा,संगम यादव , शिवनरायन जयसवाल ,सन्तोष मोदनवाल,आनंद जयसवाल, सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित हो कर कथा का रसपान किया।

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