मुक्ति का एक मात्र सर्वक्षेष्ठ धर्म साधन भागवत भक्ति है - आचार्य शशिधर पांडे
गोला गोरखपुर !
बांसगांव संदेश!गोला क्षेत्र के ग्राम पंचायत सिधारी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन काशी से पधारे आचार्य शशिधर पांडेय महाराज ने कथा का रसपान कराते हुए कहा कि इस घोर कलिकाल के प्रभाव से मानव अनेकों पाप कर्मों के द्वरा कष्ट प्राप्त कर रहा है इस सभी पापों से मुक्ति एक मात्र सर्वश्रेष्ठ साधन भागवत भक्ति है जिसके हृदय में एक मात्र श्रीहरि की भक्ति निवास करते है तो वे त्रिलोकी में अत्यंत निर्धन होने पर भी धनवान है क्योंकि भक्ति डोरी से बंधे हुए साक्षात भगवान भी अपने परम् धाम को छोड़कर भक्त के हृदय में आकर विराजमान हो जाते है|
बांसगांव संदेश!गोला क्षेत्र के ग्राम पंचायत सिधारी में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन काशी से पधारे आचार्य शशिधर पांडेय महाराज ने कथा का रसपान कराते हुए कहा कि इस घोर कलिकाल के प्रभाव से मानव अनेकों पाप कर्मों के द्वरा कष्ट प्राप्त कर रहा है इस सभी पापों से मुक्ति एक मात्र सर्वश्रेष्ठ साधन भागवत भक्ति है जिसके हृदय में एक मात्र श्रीहरि की भक्ति निवास करते है तो वे त्रिलोकी में अत्यंत निर्धन होने पर भी धनवान है क्योंकि भक्ति डोरी से बंधे हुए साक्षात भगवान भी अपने परम् धाम को छोड़कर भक्त के हृदय में आकर विराजमान हो जाते है|
भक्ति प्रसंग की ब्याख्या करते हुए महराज जी ने बताया की ब्यक्ति की श्री परीक्षित जी का शासनकाल था कलयुग प्रारंभ हो हो चुका था कलयुग के प्रभाव से झूठ ,चोरी,लोभ,दृष्टता,स्वधर्म त्याग,दरिद्रता,कपट,आदि सभी पापों का वृद्धि हो रहा था संयोग से एक दिन कलयुग का सामना परीक्षित जी हो गया परीक्षित जी ने कहा की आपके कारण पृथ्वी पर पाप अधिक बढ़ रहा है इस लिए मै आपको मार डालूंगा अपने जान पर संकट देखकर कलयुग हाथ जोड़कर परीक्षित जी से हाथ जोड़कर महाराज आप मुझे क्षमा करें मै आप के शरण मे हूं तब शरणागत की रक्षा करते हुए परीक्षित जी ने कलयुग को चार स्थान भी दिए जहाँ जुआ,मदिरा, स्त्री संग और हिंसा, कलयुग ने याचना किया|
कथा के अंत में मुख्य यजमान श्रीमती शान्ति सिंह,महेंद्र सिंह, रामरतन गुप्ता, ने सभी आगन्तुक श्रोताओं का आभार व्यक्त किया।
कथा श्रवण के लिए रणजीत सिंह,रणविजय सिंह,नीरज सिंह,प्रवज्जल सिंह,अंकित सिंह,अंगद सिंह,आदर्श सिंह सहित भारी संख्या में लोग उपस्थित हो कर कथा का रसपान किया।
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