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    भक्ति से ही शक्ति की प्राप्ति होती है -राघव ऋषि

    भक्ति से ही शक्ति की प्राप्त होती है- राघव ऋषि सूर्यवंश में राम व चंद्रवंश में भगवान कृष्ण का अवतार सहजनवा / गोरखपुर बांसगांव सन्देश। जीव यदि पूरी निष्ठा से प्रभु भक्ति करता है तो वह बलि बनता है एवं उस पर कृपा करने के लिए भगवान स्वयं वामन के रूप में पधारते हैं ।परमात्मा जब द्वार पर पधारते हैं तो तीन कदम पृथ्वी अर्थात तन मन धन जीव से मांगते हैं। तन से सेवा मन से सुमिरन व धन से सेवा जो बलि की भांति करता है। 


    भगवान उसके द्वारपाल बनते हैं और वही अक्षूण्य साम्राज्य को प्राप्त करता है । उक्त बातें कृषि उपज मंडी परिषद सहजनवा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा व ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन राघव ऋषि ने भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए कही । उन्होंने कहा कि राम जैसी मर्यादा का पालन करोगे तो तुम्हारे मन का मोह रूपी रावण मरेगा तभी भगवान कृष्ण पधारते हैं ।भगवान ने केवट को बिना मांगे विमल भक्ति का वरदान दिया। भरत जैसा समर्पण जीवन में होगा तो उसे अक्षुण्ण यश की प्राप्ति होगी। हनुमान जी ने भगवान की दासयभाव से सेवा की ।सेवा में धन ही नहीं मन मुख्य है। हनुमान जी ने भगवान से सेवा करके उन्हें अपना ऋणी बनाया। भक्ति ऐसी करो भगवान तुम्हारे ऋणी बने। हमेशा दो वस्तुओं से डरो ईश्वर व पाप बालकृष्ण का दर्शन करके समस्त श्रद्धालुओं पुष्प वृष्टि कर नृत्य करने लगे। सौरव ऋषि में ब्रज में हो रही जय जय कार भजन की प्रस्तुति की तो पूरा पंडाल ब्रज बन गया। उक्त अवसर पर मुख्य प्रकाश चंद्र त्रिपाठी एवं मुनि आगमन पांडेय, अरविंद उपेंद्र दत्त शुक्ला, पुरुषोत्तम दास अग्रवाल, अशोक अग्रहरि ,सुधाकर पांडेय, अरविंद तिवारी , महेश त्रिपाठी ,महेश कसौधन , राहुल यादव, नंदन निगम, उपेंद्र त्रिपाठी, हनुमान अग्रहरि, नवीन तिवारी, अनेक श्रद्धालु मद भागवत कथा का रसपान किया।

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