गोरखपुर विकास भवन बना कूड़ेदान
*गोरखपुर विकास भवन बना कूड़ेदान*
गोरखपुर।सिंगल यूज़ प्लास्टिक पर बैन और स्वच्छता भारत अभियान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दो ड्रीम प्रोजेक्ट हैं.गोरखपुर विकास भवन की सरकारी दफ्तरों के आसपास गंदगी का अंबार लगा हुआ है।अधिकारी उस पर कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं।जबकि स्वच्छता मिशन भाजपा सरकार की प्राथमिकताओं में पहले पायदान पर है।जिले के विकास का प्रशासनिक केंद्र विकास भवन में ही गंदगी का अंबार दिखा।विकास भवन में मुख्य द्वार से कुछ दूरी पर समाज कल्याण ऑफिस से प्रवेश करते ही बाएं खाली स्थान पर पॉलीथिन और कचरे का अंबार आगंतुकों को सलामी देता दिखा।आने-जाने वाले इस समस्या को देखकर जिला प्रशासन की सफाई व्यवस्था को कोसते दिखे। आगे बढ़ते ही बहुमंजिला विकास भवन की सीढ़ियों और खिड़कियों पर पान और गुटखे की पीक स्वच्छता अभियान की असलियत बयां करती रही। यही नहीं, विकास भवन के लगभग सभी विभागों के शौचालय गंदे दिखे। उनका इस्तेमाल करने वाले लोग नाक पर रुमाल या हाथ लगाकर ही इस्तेमाल कर पा रहे थे। विकास भवन के कमरों के कोनों में गुटखे और पान की पीक से नारकीय हुईं दीवारें मानों लापरवाही के बदनुमा दाग से खुद को छुटकारा दिलाने की गुहार लगा रहीं हों।हालांकि अधिकारियों के चैंबरों के शौचालय और वाशरूम साफ-सुथरे दिखे।आपको बता दें कि एक ओर केंद्र और प्रदेश सरकारें स्वच्छता के नारे लगाने से नहीं थक रहीं दूसरी ओर उनके लोग ही इस मंशा पर पलीता लगा रहे हैं।जब पूरे जिले को स्वच्छता का पाठ पढ़ाने के लिए जिम्मेदार सरकारी दफ्तर ही गंदा रहेगा तो वह दूसरों को कैसे स्वच्छता का सबक सिखा पढ़ाएंगे।बाहर से चमक-दमक और अंदर गदंगी का आलम. इसे ही कहते हैं चिराग तले अंधेरा. ज़िले में जिस विकास भवन से विकास की धारा बहने की उम्मीद की जाती है यह वहीं का नज़ारा है.नगर पालिकाओं, नगर निगमों और सरकारी विभागों में स्वच्छता और प्लास्टिक, पॉलीथीन इस्तेमाल न करने के लिए कई नियम बनाए गए हैं लेकिन उन पर अमल कितना हो रहा है उसकी सच्चाई ये तस्वीरें बयां कर रही हैं।
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