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    मां के जनाजे से लिपट कर बच्चों को रोता देख छलक आई सभी की आंखें

    मां के जनाजे से लिपट कर बच्चों को रोता देख,छलक आई सभी की आंखें सहजनवा गोरखपुर बांसगांव संदेश। कहते हैं कि- दुनिया में बच्चों को रोने के लिए मां के कंधे से महफूज जगह नहीं होती। जब वहीं मां बच्चों को छोड़कर सदा के लिए दुनिया को अलविदा कह दे, तो बच्चों पर क्या बीत ती है, शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता ? ऐसी एक दिल विदारक घटना ग्राम भरोहिया में शुक्रवार की भोर घटी, जहां प्राथमिक विद्यालय की रसोईया माया देवी कैंसर की लंबी बीमारी से जूझती हुई, जिंदगी की जंग हार गई । अनाथ छोटे बच्चे जब अपनी मां की लाश को देखें, तो लिपट कर फूट-फूट रोने लगे । बच्चों के करुण क्रंदन को देखकर सभी का कलेजा मुंह के बल आ गया । उनके आंसू रोके नहीं रुके। माया देवी के पास खेती-बाड़ी के नाम पर कुछ नहीं है। आजीविका का साधन रसोईया के पारिश्रमिक पर निर्भर था। घर में उसके अतिरिक्त उसके तीन छोटे बच्चे हैं-प्रदीप, संदीप, तथा मोनी है, जो सभी बारह वर्ष से नीचे हैं। पति भी एक वर्ष पहले बीमारी से मर गया था। उसकी दवा में रही- सही घर की पूंजी भी दांव पर लग गई, फिर भी कामयाबी नहीं मिली । सरकारी सहायता के नाम पर अंत्योदय कार्ड मिला है। मां के ना होने पर बच्चों का भविष्य क्या होगा ? दो वक्त की रोटी और एक अदद कपड़ा कहां से मिलेगा, इस यक्ष प्रश्न का उत्तर किसी के पास नहीं है ? पांच वर्षीय बच्ची मोनी कुछ कहते-कहते कि- मां के बगैर हमें कुछ नहीं चाहिए उसकी आंखें भर आई और गला रूंध गया। 

     उक्त- संदर्भ में खंड शिक्षा अधिकारी रजनीश द्विवेदी ने कहा कि रसोईया के बच्चों की हर संभव मदद की जाएगी। उक्त- संदर्भ में प्रधानाध्यापक अश्वनी कुमार सिंह ने कहा कि विद्यालय परिवार दरवाजा बच्चों के लिए हमेशा खुला रहेगा । उनकी मदद के लिए अध्यापकगण भी खड़े रहेंगे।

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