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    ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के मोहब्बत का पैग़ाम घर-घर तक पहुंचाएं -ग़ौसे आज़म फाउंडेशन ने मनाया उर्स-ए-पाक

    ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के मोहब्बत का पैग़ाम घर-घर तक पहुंचाएं  



    -ग़ौसे आज़म फाउंडेशन ने मनाया उर्स-ए-पाक 

    गोरखपुर। शनिवार को बक्शीपुर स्थित चिश्तिया मस्जिद में गौसे आज़म फाउंडेशन की ओर से महान सूफी हज़रत मोईनुद्दीन चिश्ती अलैहिर्रहमां (ख़्वाजा ग़रीब नवाज़) का उर्स-ए-पाक अकीदत से मनाया गया। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात व मनकबत पेश की गई। अध्यक्षता करते हुए हाफिज महमूद रज़ा कादरी ने ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के बचपन व तालीम हासिल करने के वाकयात पर रोशनी डाली।

    विशिष्ट वक्ता कारी मो. अनस रज़वी ने कहा कि ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के उर्स पर उनकी बारगाह में अकीदत का नजराना यही होगा कि हम उनकी शिक्षाओं पर चल कर हमारे देश से हिंसा, नफरत, घृणा और अज्ञानता के अंधेरे को दूर करें और मोहब्बत व अमन का पैगाम घर-घर तक  पहुंचाएं। उर्स का मकसद मनोरंजन करना नहीं है बल्कि ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ के नक्शेकदम पर चलना है। हर दरगाह पर होने वाले उर्स को तमाम गैर शरई खुराफात से पाक रखें। ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ व बुजुर्गों की याद में गरीबों व बेसहारा लोगों की मदद करें। 

    मुख्य वक्ता नायब काजी मुफ़्ती मो. अज़हर शम्सी ने बताया कि ख़्वाजा ग़रीब नवाज़ का नाम मोइनुद्दीन हसन और लकब हिन्दल वली, ग़रीब नवाज़ है। आप 537 हिजरी को सीस्तान में पैदा हुए। आपका देहांत 6 रजब 633 हिजरी को अजमेर शरीफ, भारत में हुआ। आपके पिता का नाम सैयद गयासुद्दीन हसन व मां का नाम बीबी उम्मुलवरा (माहे नूर) था। आपकी शुरुआती शिक्षा घर पर ही हुई। यहां तक कि 9 साल की उम्र में आपने पूरा क़ुरआन हिफ्ज़ (याद) कर लिया। 15 साल की उम्र में पिता का साया सर से उठ गया और इसके कुछ माह बाद ही मां का भी साया सर से उठ गया। पिता की तरफ से आपको विरासत में एक पनचक्की और एक बाग़ मिला।  दरवेश हज़रत इब्राहीम कन्दोज़ी ने ग़रीब नवाज़ पर निगाहे करम डाली। ग़रीब नवाज़ के दिल की दुनिया बदल गई। आपने बाग़ को बेचकर गरीबो में पैसा बांट दिया। खुरासान से समरक़न्द फिर बुखारा, इराक पहुंचे और अपनी शिक्षा पूरी की। ग़रीब नवाज़ ने मौलाना हिसामुद्दीन से काफी इल्म हासिल किया। आप बीस साल तक हज़रत ख़्वाजा शैख उस्मान हारूनी अलैहिर्रहमां की खिदमत में रहे और फैजयाब हुए।

    अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांग शीरीनी बांटी गई। उर्स में फाउंडेशन के जिलाध्यक्ष समीर अली, हाफिज मो. अमन, मो. फ़ैज़, मो.  ज़ैद मुस्तफ़ाई, रियाज़ अहमद, मो. शारिक, सैफ हाशमी, मुख्तार खान, सैफ अली, अली गज़नफर शाह, महबूब आलम सहित तमाम लोग मौजूद रहे।

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