प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुआ पक्षी विहार बखीरा
प्रवासी पक्षियों से गुलजार हुआ पक्षी विहार बखिरा
सहजनवा गोरखपुर बांसगांव संदेश ।पक्षियां प्रकृति के काफी करीब होती हैं और पारिस्थितिकी तंत्र में इनका बहुमूल्य योगदान होता है। इतना ही नहीं प्रकृति के प्रत्येक हलचल का इन्हें ज्ञान भी होता है।
अनेक खूबियों को समेटे हुए पक्षी विहार बखीरा झील का नजारा देखने लायक है। सर्द भरे मौसम में देश-विदेश से आए पक्षियों से गुलजार, गुलदस्ते जैसी रंग-बिरंगे समूहों को देखने के लिए पर्यटकों का लम्बा तांता लगा हुआ है। प्रदेश की जलवायु व भौगोलिक विविधता के कारण प्रवासी पक्षियों की यह झील आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यदि विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए, तो पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन बनाए रखने में पक्षियों का बड़ा योगदान होता है । भारत वर्ष में पक्षियों की कुल- 1250 प्रजातियां पाई जाती है । पक्षी विहार के बखिरा झील में- अन्य देशो- तिब्बत, चीन, यूरोप व साइबेरिया से काफी दूरी तय करके नाना प्रजातियों की पक्षियों यहां शीतकाल से आना आरंभ करती हैं और ग्रीष्म काल के आगमन तक रहती हैं। दूर देश से आयीं इन प्रवासी पक्षियों के कारण झील की रौनक में चार चांद लग गया है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। विस्तार दृष्टि से देखा जाए तो यह झील संत कबीर नगर के मेहदावल भखरा नाला से आरंभ होकर गोरखपुर के पाली विकास खंड के ग्राम माट बाजार चोरमा नाले पर समाप्त होती है। 28 94.21 हेक्टेयर भूमि पर फैला हुआ पक्षी विहार बखिरा अपनी जैव विविधता के कारण भी जाना जाता है। झील में नाना प्रकार की मछलियां- रोहू, मांगुर, सर नन्ही, देवरी, बाम के अतिरिक्त अनेक प्रकार की वनस्पतियां- यूपीकुल, एरिया, नरकट,नरई, काई, जलकुंभी, कुमुदिनी पाई जाती हैं। सुदूर देशों से आईं हुईं पक्षियों की अनेक प्रजातियों से-ग्रेलैंगगगूंज, लार्जइड, ग्रीनरोंक, कामन, बैगपाइपर, साइबेरियननिजियन,कूट सूर्खख्वाब, सारस, पांण्डहेरान,टानीईगल,गड़वाल आदि से झील पूरी तरह आबाद है। उक्त संदर्भ में पक्षी विहार बखीरा के डीएफओ प्रभा कांत पांडे ने कहा कि-अनेक देश से आई पक्षियों से गुलजा पक्षी विहार की सुरक्षा चाक-चौबंद की गई है । कर्मचारी हर समय पहरा देते रहते हैं। फिर हाल साफ-सफाई का बजट सरकार के तरफ से अभी नहीं मिला है।
अनेक खूबियों को समेटे हुए पक्षी विहार बखीरा झील का नजारा देखने लायक है। सर्द भरे मौसम में देश-विदेश से आए पक्षियों से गुलजार, गुलदस्ते जैसी रंग-बिरंगे समूहों को देखने के लिए पर्यटकों का लम्बा तांता लगा हुआ है। प्रदेश की जलवायु व भौगोलिक विविधता के कारण प्रवासी पक्षियों की यह झील आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यदि विज्ञान की दृष्टि से देखा जाए, तो पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन बनाए रखने में पक्षियों का बड़ा योगदान होता है । भारत वर्ष में पक्षियों की कुल- 1250 प्रजातियां पाई जाती है । पक्षी विहार के बखिरा झील में- अन्य देशो- तिब्बत, चीन, यूरोप व साइबेरिया से काफी दूरी तय करके नाना प्रजातियों की पक्षियों यहां शीतकाल से आना आरंभ करती हैं और ग्रीष्म काल के आगमन तक रहती हैं। दूर देश से आयीं इन प्रवासी पक्षियों के कारण झील की रौनक में चार चांद लग गया है। जिसे देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक आते हैं। विस्तार दृष्टि से देखा जाए तो यह झील संत कबीर नगर के मेहदावल भखरा नाला से आरंभ होकर गोरखपुर के पाली विकास खंड के ग्राम माट बाजार चोरमा नाले पर समाप्त होती है। 28 94.21 हेक्टेयर भूमि पर फैला हुआ पक्षी विहार बखिरा अपनी जैव विविधता के कारण भी जाना जाता है। झील में नाना प्रकार की मछलियां- रोहू, मांगुर, सर नन्ही, देवरी, बाम के अतिरिक्त अनेक प्रकार की वनस्पतियां- यूपीकुल, एरिया, नरकट,नरई, काई, जलकुंभी, कुमुदिनी पाई जाती हैं। सुदूर देशों से आईं हुईं पक्षियों की अनेक प्रजातियों से-ग्रेलैंगगगूंज, लार्जइड, ग्रीनरोंक, कामन, बैगपाइपर, साइबेरियननिजियन,कूट सूर्खख्वाब, सारस, पांण्डहेरान,टानीईगल,गड़वाल आदि से झील पूरी तरह आबाद है। उक्त संदर्भ में पक्षी विहार बखीरा के डीएफओ प्रभा कांत पांडे ने कहा कि-अनेक देश से आई पक्षियों से गुलजा पक्षी विहार की सुरक्षा चाक-चौबंद की गई है । कर्मचारी हर समय पहरा देते रहते हैं। फिर हाल साफ-सफाई का बजट सरकार के तरफ से अभी नहीं मिला है।
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