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    कुरआन शरीफ की बेअदबी के खिलाफ मुस्लिम समुदाय में नाराजगी

    कुरआन शरीफ की बेअदबी के खिलाफ मुस्लिम समुदाय में नाराजगी  

    -सामूहिक रूप से कुरआन शरीफ पढ़कर दिया जवाब 




    गोरखपुर। स्वीडेन व नीदरलैंड में लगातार हो रही कुरआन शरीफ की बेअदबी से मुसलमान आहत व नाराज हैं। रविवार को मुस्लिम समुदाय ने जाफरा बाजार में सामूहिक रूप से कुरआन शरीफ पढ़कर इस्लाम विरोधी ताकतों को अलग अंदाज में जवाब दिया। उलमा किराम ने क़ुरआन शरीफ की अजमतों का खुतबा पढ़ा। कुरआन शरीफ व पैग़ंबरे इस्लाम की बेअदबी करने वालों की निंदा की। 

    मुफ़्ती-ए-शहर अख़्तर हुसैन मन्नानी ने कहा कि पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम व कुरआन शरीफ की बेअदबी मुसलमान हरगिज बर्दाश्त नहीं कर सकता है। स्वीडेन व नीदरलैंड में कुरआन शरीफ की बेअदबी की हम कड़े शब्दों में निंदा करते हैं। अभिव्यक्ति के आजादी की आड़ में कुरआन शरीफ की बेअदबी कबूल नहीं है। कुरआन शरीफ का नुस्खा जलाना या फाड़ना मानसिक दिवालियापन व कायरना कृत्य है। जो घोर निंदनीय है। आख़िरी पैगंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पूरी इंसानियत के लिए रहमत बनकर आए। पैगंबर इस्लाम पर नाज़िल होने वाली किताब कुरआन शरीफ भी एक विशेष कौम व मिल्लत के लिए नहीं बल्कि उसमें सभी इंसानों के लिए अल्लाह का संदेश व हिदायत है। कुरआन शरीफ  मार्गदर्शन और प्रशिक्षण की एक पूर्ण किताब है ताकि हम अल्लाह की महानता और उसकी शक्ति से अवगत हो सकें। 

    नायब काजी मुफ़्ती मोहम्मद अज़हर शम्सी ने कहा कि कुरआन शरीफ में सभी लोगों के लिए रोशनी, हिदायत, हिकमत और शिफा है। यह किताब ज़िंदगी गुजारने का तरीका  बताती है। यह किताब अच्छे बुरे में फर्क व तमीज करती है। यह अल्लाह की किताब है। कलाम भी है और सिफत भी। इसके एक-एक हुरूफ पढ़ने पर दस नेकियां मिलती हैं। ऐसे में कुरआन शरीफ की तौहीन किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अजमते कुरआन, पैग़ंबर, सहाबा किराम व अहले बैत पर हमारा तन, मन, धन सब कुर्बान है।

    कारी मोहम्मद अनस रज़वी ने कहा कि क़ुरआन शरीफ की हिफाजत का जिम्मा खुद अल्लाह ने लिया है। मुसलमान न क़ुरआन की तौहीन बर्दाश्त करेगा और न ही पैग़ंबरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की। अदना सी बेअदबी भी नहीं सही जाएगी। 

    अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान व इजरायल के जुल्मों सितम से शहीद होने वाले फिलीस्तीनी मुसलमानों के लिए दुआ की गई। इस दौरान हाफिज रहमत अली निजामी, मुफ्ती मेराज अहमद कादरी, कारी सरफुद्दीन, सैयद जव्वाद अली सब्जपोश, युसूफ अली, मो. शुएब, समीर अली, अब्दुल रहमान, नूर मोहम्मद दानिश, हाफिज अलकमा, हाफिज गुलाम जीलानी, हाफिज रहमत अली, मौलाना फैयाज निज़ामी, हाफिज रजी अहमद,  मो. आज़म, ताबिश सिद्दीक़ी, नवेद आलम, परवेज आलम, हाफिज सैफ अली, हाफिज आमिर हुसैन निज़ामी,  सैयद हुसैन अहमद, यासीन खान, अली गज़नफर शाह, हाफिज शमीम, शीराज सिद्दीक़ी आदि मौजूद रहे।

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